नई दिल्ली। सभी अटकलों को धता बताते हुए भाजपा ने पश्चिम बंगाल के वर्तमान राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लोकसभा और राज्यसभा में संयुक्त रूप से राजग के बड़े बहुमत को देखते हुए यह अभी से माना जा सकता है कि धनखड़ अगले उपराष्ट्रपति होंगे। यानी ऐसा पहली बार होगा कि दोनों सदनों के मुखिया एक ही राज्य राजस्थान से होंगे।
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में हुआ फैसला
71 वर्षीय धनखड़ राजस्थान के झुंझनू से आते हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान के साथ संसदीय बोर्ड की लगभग एक घंटे चली बैठक में धनखड़ के नाम पर फैसला हुआ। भाजपा अध्यक्ष ने इस फैसले की सार्वजनिक जानकारी दी। धनखड़ ने शनिवार सुबह ही प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की थी।
भाजपा ने एक साथ दिए कई संदेश
अटकलों से परे धनखड़ का चुनाव थोड़ा चौंकाने वाला जरूर है लेकिन भाजपा ने इसके सहारे राज्यसभा के संचालन के साथ साथ राजनीति को भी साधने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि एक ही झटके में राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को संदेश दिया गया है।
धनखड़ का तीन दशक लंबा राजनीतिक जीवन
जाटलैंड से आने वाले धनखड़ कानूनी मामलों के विशेषज्ञ हैं। वह सुप्रीम कोर्ट से वकील रह चुके हैं और झुंझनू से लोकसभा सीट जीतने के बाद वह केंद्र में संसदीय कार्य राज्यमंत्री का काम भी देख चुके हैं। उनका राजनीतिक जीवन लगभग तीन दशक लंबा रहा है। जाहिर तौर पर जहां उन्हें अनुभव है वहीं एक प्रशासक के रूप में वह सख्त भी हैं और बेबाक भी। जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद पर नियुक्ति के बाद से ममता बनर्जी सरकार के साथ उनके रिश्ते कटु ही रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से उनपर लगातार राजनीतिक हमला होता रहा लेकिन वह डिगे नहीं।
जुझारू व्यक्तित्व वाले नेता हैं धनखड़
हाल में उन्होंने बंगाल के बुद्धिजीवियों से चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया था। जाहिर है कि रविवार को विपक्षी दल उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम पर फैसला करेंगे तो वहां एकजुटता दिख सकती है। दरअसल, धनखड़ एक जुझारू व्यक्तित्व वाले नेता हैं और राज्यसभा का संचालन बखूबी निभाने में सक्षम होंगे। राजनीतिक पहलू भी कम नहीं है। हरियाणा में भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता में है। प्रदेश में भाजपा पर जाटों की अनदेखी का आरोप लगता रहा है।
कई राज्यों में जाटों को साधने की कोशिश
राजस्थान से धनखड़ खुद आते हैं और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जाट समुदाय की ओर से यह निराशा जताई गई थी कि उन्हें सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। अब देश में दूसरा सबसे उंचा संवैधानिक पद जाट समुदाय से आए व्यक्ति को मिलेगा। माना जा रहा है कि धनकड़ अपना नामांकन सोमवार या मंगलवार को करेंगे। मंगलवार ही नामांकन की अंतिम तिथि है। मतदान छह अगस्त को है।