हालांकि केंद्र सरकार ने यह जरूर कहा है कि पर्सनल ला में आने वाले विषय जैसे शादी, तलाक, वसीयत, उत्तराधिकार अविभक्त कुटुंब आदि संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची तीन समवर्ती सूची की प्रविष्टि पांच से संबंधित हैं इसलिए इनके बारे में राज्यों को भी कानून बनाने का अधिकार है।
केंद्र सरकार की ओर से ये बात विधि एवं न्याय मंत्री किरन रिजीजू ने शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कही है।जवाब में कानून मंत्री ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 44 भारत के सभी नागरिकों को लिए समान नागरिक संहिता की बात करता है। 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता संबंधी मुद्दों की समीक्षा की है और व्यापक चर्चा के लिए कुटुंब विधि सुधार नामक परामर्श पत्र आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया है।
सरकार का कहना है कि समान नागरिक संहिता के बारे में कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए अभी इसे देश में लागू करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। गोवा अभी देश का एक मात्र राज्य है जहां समान नागिरक संहिता लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर ¨सह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा करते हुए उसका प्रारूप तैयार करने के लिए कमेटी भी बना दी है।
पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली छह याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं। हाईकोर्ट से उन पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी हुआ था और केंद्र सरकार ने पिछले साल ही हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया था जिसमें इस पर गहनता से अध्ययन की जरूरत बताई थी लेकिन कहा था कि यह मामला विधायिका के विचार करने का है इस पर कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की गई है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में पांच स्थानांतरण याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं हालांकि उन पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का नंबर नहीं आया है।
पांच स्थानांतरण याचिकाओं में से एक याचिका दिल्ली भाजपा प्रवक्ता निघत अब्बास की है। निघत अब्बास ने स्थानांतरण याचिका में कहा कि अश्वनी उपाध्याय की पांच याचिकाएं पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिनमें उठाई गई मांगे समान नागरिक संहिता से संबंधित हैं उन याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी कर चुका है, ऐसे में समान नागरिक संहिता की मांग वाली उसकी दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर दिया जाए।
भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की समान नागरिक संहिता से जुड़े पांच महत्वपूर्ण मुद्दों शादी की समान आयु, तलाक, भरणपोषण, उत्तराधिकार, गोदलेना तथा संरक्षक कानूनों को सभी के लिए समान बनाने की मांग वाली पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं इन याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस भी जारी हो चुका है लेकिन केंद्र ने अभी तक इनका जवाब दाखिल नहीं किया है।