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Monsoon Session: वन्यजीवों के संरक्षण के सख्त होंगे कानून, राज्य ले सकेंगे फैसले


नई दिल्ली। वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़े कानून का दायरा अब वन्यजीवों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसके दायरे में लुप्त प्राय वनस्पतियों भी शामिल होंगी। वन्यजीवों के साथ इनके संरक्षण के लिए भी देश में एक नई मुहिम शुरू होगी। इसके साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा से जुड़े कानूनों को अब सख्त किया गया है। जिसमें इनमें शिकार और इनसे जुड़ी सामग्रियों के मिलने पर और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़े अहम फैसलों के लिए राज्यों को भी अधिकार दिया गया है।

वन्यजीवों से संरक्षण से जुड़े संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा से सर्वसम्मति से पारित हो गया। इससे पहले इस विधेयक को लोकसभा की स्थाई समिति को भेज दिया था। इसके बाद इसे लंबे विमर्श के बाद पेश किया गया था।

लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़े कानून में बदलाव जरूरी हो गया है। इसके तहत वन्यजीवों के साथ लुप्त प्राय वनस्पतियों का भी संरक्षण होगा।

वन क्षेत्र और अभयारण्यों से आदिवासियों का जबरिया नहीं होगा विस्थापन

इस बीच लोकसभा में विधेयक पर चर्चा में करीब 41 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस बीच भूपेंद्र यादव ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की परिकल्पना है कि धरती हरी-भरी हरे और धरती पर सभी जीव ( वन्यजीव और वनस्पतियों ) का अस्तित्व बना रहे। इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे है। साथ ही लंबे समय से वनों और वन्यजीवों के साथ जुड़कर काम करने वाले लोगों खासकर आदिवासी और जनजाति समुदाय के लोगों को इनके साथ जोड़ा जा रहा है। इनके विस्थापन से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। खासकर जब तक विस्थापन पूरा न हो तब तक उन्हें उनकी जमीन और गांवों से बेदखल नहीं किया जाएगा।

विधेयक को जल्दबाजी में नहीं लाया गया: भूपेंद्र यादव

विधेयक पर चर्चा पर बोलते हुए लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने विधेयक को जल्दबाजी में पेश करने का आरोप लगाया और सुंदरवन के संरक्षण का मुद्दा उठाया। इस पर केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि विधेयक को जल्दबाजी में नहीं लाया गया है बल्कि स्थाई समिति की सिफारिश के बाद लाया गया है। जिसके चेयरमैन कांग्रेस नेता जयराम रमेश थे। उन्होंने कहा कि इसके वन्यजीवों और अभयरण्यों से संरक्षण से जुड़े कानूनों में राज्यों को ज्यादा अधिकार दिए गए है। जो नीलगायों या जंगली सुअर जैसी समस्याओं पर स्थानीय स्तर पर ही फैसला ले सकेंगे। इसके राज्य के चीफ वार्डेन वाइल्ड लाइफ के पास सारे अधिकार होंगे।