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जवाहिरी का सफाया, आतंकवाद से अपने बलबूते निपटने की भारत भी दिखाए प्रतिबद्धता


अंतत: अमेरिका ने अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को भी मार गिराया। इसके पहले उसने उसके साथ 9-11 आतंकी हमले की साजिश रचने वाले ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा था। लादेन की मौत के बाद ही जवाहिरी अलकायदा का मुखिया बना था। उसके नेतृत्व में अलकायदा भले ही कमजोर पड़ गया हो, लेकिन वह तमाम आतंकी गुटों को जिहाद की जहरीली खुराक देने में लगा हुआ था।

बहुत दिन नहीं हुए जब कर्नाटक के हिजाब विवाद पर जवाहिरी ने एक वीडियो जारी कर भारत के खिलाफ जहर उगला था। उसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भी विष वमन किया था। इसके अतिरिक्त उसने भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अलकायदा के एक खास गुट के गठन का एलान करने के साथ उसके सरगना के रूप में भारतीय मूल के एक आतंकी को नियुक्त किया था। साफ है कि जवाहिरी का मारा जाना अमेरिका और भारत के साथ-साथ उन देशों के लिए भी राहत की एक खबर है, जहां अलकायदा प्रेरित आतंकी गुट सक्रिय हैं।

जवाहिरी के मारे जाने के बावजूद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ भारत की चिंताओं का समाधान होता नहीं दिखता, क्योंकि यह तथ्य तालिबान की धोखेबाजी को ही बयान करता है कि अलकायदा सरगना ने काबुल में शरण ले रखी थी। दोहा समझौते में तालिबान ने यह वादा किया था कि वह अलकायदा समेत किसी अन्य जिहादी गुट को पालने-पोसने का काम नहीं करेगा। जवाहिरी न केवल काबुल में पल रहा था, बल्कि तालिबान के सबसे खूंखार गुट हक्कानी नेटवर्क के सरगना के मकान में रह रहा था।

अब अमेरिका को चाहिए कि वह पाकिस्तान की कठपुतली समझे जाने वाले हक्कानी गुट के मुखिया को अपने निशाने पर ले, क्योंकि उसके रहते अफगानिस्तान में हालात सुधरना संभव नहीं। यह जो अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका को खुश करने के लिए पाकिस्तान ने ही उसे जवाहिरी के बारे में जानकारी दी हो, वह सही भी हो सकता है। जो भी हो, भारत इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि पाकिस्तान उन आतंकी गुटों के खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है, जो उसके लिए खतरा बने हुए हैं।

भारत को इस तथ्य को न केवल विश्व मंचों पर नए सिरे से रेखांकित करना होगा, बल्कि तालिबान से संपर्क-संवाद करने और उसकी मदद करने के मामले में और सावधान रहना होगा। इस सबके अलावा उसे पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से अमेरिका की तरह से अपने बलबूते निपटने के लिए और अधिक प्रतिबद्ध होना होगा। ऐसी ही प्रतिबद्धता उसे देश में सक्रिय जिहादी तत्वों के खिलाफ भी दिखानी होगी, क्योंकि उनका दुस्साहस बढ़ता हुआ दिख रहा है।