मऊ

मऊ:सब इंस्पेक्टर के सीने में धधका इंकलाब… मांगी विवेचना,एसपी को सह अभियुक्त बनाने का किया दावा, एफआईआर के तीन साल बाद भी नहीं मिला कोई फर्जी पासपोर्ट


मऊ।शरीर पर खाकी वर्दी और कमर में सरकारी पिस्टल खोंसकर अगर कोई सब इंस्पेक्टर देश के चौथे स्तम्भ के सामने फफक-फफक कर रो पङे तो मामला बेहद गंभीर ही होगा।जी हाँ शनिवार को जब पूरा देश धनतेरस और दीपावली की खुशियों के रंग में डूबा नज़र आ रहा था।उस वक्त नगर कोतवाली का एक सब इंस्पेक्टर तत्कालीन एसपी अनुराग आर्य की जुल्म और ज्यादती की दास्ताँ सुनाकर “आज” प्रतिनिधि के सामने फूट-फूटकर रो रहा था।इस सब इंस्पेक्टर की पीड़ा को गंभीरता से लेते हुए शासन-प्रशासन यदि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराये तो सच से पर्दा उठे और भ्रष्ट आईपीएस और थानेदार जेल में होंगे।मामला वर्ष 2019में तत्कालीन एसपी अनुराग आर्य के कार्यकाल का है,जब कोपागंज थानेदार विनय कुमार सिंह थे।एलआईयू के तत्कालीन इंस्पेक्टर भूपेन्द्र सिन्हा और आरडी मौर्या के बीच रुपयों के दम पर फर्जी पासपोर्ट की रिपोर्ट को लेकर आफिस में हुई लङाई एसपी आवास तक पहुंच गयी थी।उसी वक्त घोसी में पुलिस हिरासत में हुई एक युवक की मौत पर जनपद आंदोलित था।पीङित परिवार को मैनेज करने के लिए हर थाने से एक-एक लाख रूपये मांगे गये थे।एलआईयू ने अपने हाथ खङे कर दिये थे।जबकि उसकी अवैध कमाई बारह लाख रूपये महीना थी।यही बात एसपी को खल गयी और फर्जी पासपोर्ट गिरोह का पर्दाफाश करने का ढोंग करते हुए स्क्रिप्ट तैयार कर दी।न कोई फर्जी पासपोर्ट बरामद हुआ,न किसी ने एफआईआर कराई।अपने ही मातहत थानेदार से जबरन एफआईआर कराकर एलआईयू के दो छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बना दिया और एलआईयू के इन्फार्मर,होमगार्ड आदि को मुल्जिम बनाकर फर्जी पासपोर्ट गिरोह के असली सरदारों को ले-देकर क्लीन चिट दिलवा दिया।इस मामले में तेरह निरीह लोगों को अभियुक्त बनाया गया।जिनका फर्जी पासपोर्ट से कोई लेना-देना न था।धाराएं इतनी गंभीर लगवाई की पीङित तबाह होकर रह गये। समय-समय पर पुलिस का सहयोग करने का पुरस्कार नौ-नौ महीने जेल काटने के रूप में मिला।एसपी ने पदीय अधिकारों का दुरूपयोग कर बेगुनाहों को गुनहगार साबित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोङी।मनमाफिक विवेचना करने के लिए पांच-पांच विवेचक बदले।सब इंस्पेक्टर की मानें तो बिना फर्जी पासपोर्ट बरामद हुए फर्जी पासपोर्ट गिरोह का पर्दाफाश तत्कालीन एसपी अनुराग आर्य का एक ढोंग था।कहा कि अगर पुलिस के छोटे कर्मचारी फर्जी पासपोर्ट गिरोह के अभियुक्त बनाये गये तो उस समय वे तत्कालीन एसपी की शरण में रहने के नाते एसपी भी 120बी के अभियुक्त बनने चाहिए।सब इंस्पेक्टर ने रो-रोकर कहा कि अगर उक्त प्रकरण की विवेचना उसे मिले तो वर्दी की सौगंध वह तत्कालीन एसपी अनुराग आर्य को भी सह अभियुक्त बना देगा।कायदे से तो इस प्रकरण की विवेचना बिना एसपी के अधीन किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से करायी जानी चाहिए।लेकिन,तत्कालीन एसपी ने ऐसा नहीं किया।यही वजह है कि करीब तीन साल होने को हैं और एक भी फर्जी पासपोर्ट आजतक बरामद नहीं हो सका और ना ही फर्जी पासपोर्ट का कोई लाभार्थी ही प्रकाश में आ सका।यही बात,इस सब इंस्पेक्टर की आत्मा को रह-रहकर झकझोर रही है और वह इस मुद्दे पर अपनी नौकरी की भी कुर्बानी देने के लिए तैयार है।इस सब इंस्पेक्टर की ईमानदारी का आलम यह है कि पूरे सेवाकाल में अब तक वह मात्र 9600रूपये ही बचा पाया है,जो उसके बैंक खाते में है।उसने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलायी और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया।यही वजह है कि उक्त सब इंस्पेक्टर की बेटी आज बीडीओ पद पर नियुक्त है तो बेटा यूपीपीसीएस में इक्कीसवां स्थान पाकर अपने पिता को एक भ्रष्ट आईपीएस के विरुद्ध इंकलाब की आवाज बुलंद करने के लिए उसके सीने में जोश और जज़्बा पैदा कर दिया है।