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लगातार खिसक रही है हिमालय के नीचे की भारतीय प्‍लेट, इसके यूरेशियन प्‍लेट से टकराने पर आते हैं भूकंप


नई दिल्‍ली । दिल्‍ली-एनसीआर में आए 5.4 तीव्रता के भूकंप ने एक बार फिर से लोगों की चिंता को बढ़ाने का काम किया है। इससे पहले 9 नवंबर को रात करीब 2 पर 6.4 की तीव्रता का भूकंप आया था। दोनों के बीच काफी हद समानता की बात की जा रही है। भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो आज आया भूकंप का केंद्र भी उसी इलाके में था जहां पर 9 नवंबर को था। आज जो भूकंप आया उसका केंद्र जमीन में 10 किमी नीचे था। ऐसे में एक सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इस क्षेत्र में में आने वाले भूकंप किसी बड़ी अनहोनी का संकेत मात्र तो नहीं हैं।

क्‍यों अधिक आते हैं इस इलाके में भूकंप

आपको बता दें कि जिस इलाके में पिछले दो बार से भूकंप के तेज झटके महसूस किए जा रहे हैं वो समूचा क्षेत्र भारतीय प्‍लेट और यूरेशियन प्‍लेट पर मौजूद है। भारतीय प्‍लेट लगातार खिसक रही है और यूरेशियन प्‍लेट की तरफ आगे बढ़ रही है। इनके खिसकने से धरती के अंदर होने वाली टक्‍कर से अत्‍यधिक उर्जा उत्‍पन्‍न होती है। जब वो रिलीज होती है तो ऊपरी क्षेत्र में हलचल पैदा करती है और भूकंप आते हैं। इस क्षेत्र में आने वाले भूकंप यहां की प्‍लेट्स में हो रहे बदलाव की ही वजह है। भूकंप का केंद्र जितनी गहराई में होता है उतना ही खतरा और नुकसान होने की आशंका कम होती है।

भारत की स्थिति में बदलाव

वैज्ञानिकों की राय में भारत हर वर्ष करीब 47 मिलीमीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है। ये प्रक्रिया हाल के कुछ वर्षों में शुरू नहीं हुई है बल्कि वर्षों से लगातार ये बदलाव हो रहा है। वैज्ञानिक की मानें तो धरती की गहराई में हो रहा बदलाव ही भूकंपों को जन्‍म देता है। भारतीय प्लेट यूरेशिया की तरफ बढ़ रही है। कभी कभी इन दोनों प्‍लेट्स में आपसी टक्‍कर होती है और फिर ये स्थिर भी हो जाती हैं।

ये हैं अत्‍यधिक संवेदनशील वाले क्षेत्र

भूकंप के खतरे के लिहाज से भारत को चार भांगों में बांटा गया है। इसमें सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में उत्तराखंड, कश्मीर का श्रीनगर वाला इलाका, हिमाचल प्रदेश और बिहार का कुछ हिस्सा, गुजरात का कच्छ और पूर्वोत्तर के छह राज्य आते हैं। यहां पर अधिक और ताकतवर भूकंप आने की आशंका अधिक होती है।

ऊंची इमारतों में रहने वालों को अधिक खतरा

जानकार मानते हैं कि भूकंप के दौरान उन लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है जो ऊंची इमारतों में रहते हैं। भारत में अधिकतर इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं, इसलिए नुकसान की आशंका भी हर वक्‍त बनी रहती है। इसलिए भूगर्भ वैज्ञानिक बार-बार ये सलाह देते हैं कि ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग इस तरह के हालातों में खुद को काबू रखते हुए संयंम से काम लें। घबराकर भागने न लगें। न ही लिफ्ट का उपयोग करें। घर की गैस और लाइट्स को आफ कर दें। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इस तरह के हालातों में शार्ट सर्किट होने की संभावना अधिक हो जाती है।