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Air Pollution: NHRC ने कहा- पराली जलने के लिए किसान नहीं, राज्य जिम्मेदार


नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाए जाने का सिलसिला समाप्त न हो पाने के लिए किसानों के बजाय राज्य जिम्मेदार हैं, जो उन्हें इससे निजात दिलाने के लिए फसलों की कटाई मशीन उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं। आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई दिनों से छाई धुंध की चादर का स्वत: संज्ञान लेकर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों से जवाब तलब किया था। 

आयोग ने इन राज्यों और दिल्ली सरकार के जवाब पर विचार करने के बाद यह राय व्यक्त की कि किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं। उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है और इन राज्यों की नाकामी के चलते दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने का सिलसिला जारी है।

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18 नवंबर को फिर होगी मामले को लेकर सुनवाई

आयोग ने संबंधित मुख्य सचिवों को 18 नवंबर को मामले की फिर सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या हाइब्रिड मोड के जरिये उपस्थित रहने के लिए कहा है। इसके साथ ही उनसे चार दिनों के भीतर कुछ और बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

आयोग ने सरकारों से किए सवाल

आयोग ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि पांच हजार एकड़ कृषि भूमि में सात नवंबर तक केवल 2,368.5 एकड़ में ही बायो डिकंपोजर का छिड़काव क्यों किया जा सका? शेष कृषि भूमि में बायो डिकंपोजर के छिड़काव में कितना समय लगेगा। आयोग ने मेकेनिकल रोड, स्वीपर मशीन और एंटी स्माग गन के इस्तेमाल का ब्योरा भी मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि मेडिकल वेस्ट कैसे एकत्र किया जाता है और जो अस्पताल इस तरह का कचरा खुले में फेंक रहे हैं उन पर क्या एक्शन लिया गया। आयोग ने पंजाब सरकार से पूछा है कि जितनी सीआरएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दी गई थी उतनी क्यों नहीं खरीदी जा सकी हैं।

इसी तरह हरियाणा सरकार से भी पूछा गया है कि बायो डिग्रे¨डग के लिए कितना एरिया कवर किया गया और गांवों में कितने हाट स्पाट बनाए गए हैं। वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों के निस्तारण के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या किया। वहीं उत्तर प्रदेश से किसानों के बीच बांटी गई मशीनों के विवरण जैसे कुछ सवाल पूछे गए।