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महाराष्ट्र में जिस हाईवे पर साइरस मिस्त्री की जान गई, वहां कई खामियां; IRF ने मंत्रालय को सौंपी आडिट रिपोर्ट


नई दिल्ली, सड़क सुरक्षा के आडिट पर पर्याप्त और तेजी से ध्यान न दिए जाने के कारण भी रोड इन्फ्रा की कमियां दुरुस्त नहीं हो पा रही हैं। इसका एक उदाहरण सितंबर में मशहूर उद्योगपति साइरस मिस्त्री समेत दो लोगों की सड़क हादसे में मौत के बाद महाराष्ट्र के पालघर में अहमदाबाद-मुंबई हाईवे की उन खामियों का दुरुस्त न हो पाना है जो एक स्वतंत्र रोड सेफ्टी आडिट में उजागर की गई थीं।

IRF ने की कई कमियां उजागर

मंदोर (महाराष्ट्र) और अछाद (गुजरात) के बीच एनएच-48 के 70 किलोमीटर के हिस्से में किए गए आडिट में खराब रखरखाव, अपर्याप्त साइनेज समेत कई खामियों को उजागर किया गया था और इन्हें तुरंत दूर करने की सिफारिश की गई थी। गौरतलब है कि इसी स्ट्रेच में साइरस मिस्त्री और एक अन्य सहयात्री की चार सितंबर को हुए हादसे में जान चली गई थी। यह हादसा जिस हाईवे में हुआ उसमें अकेले इसी साल 60 से अधिक लोगों की जान गई है।

क्या कहा गया आडिट में

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आइआरएफ) ने सितंबर में ही इस स्ट्रेच का आडिट कर अपनी रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंपी थी। 43 पेज की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डायवर्जन और पुलों से पहले स्पीड लिमिट के साइन लगाए जाने चाहिए और रोड संकरी होने की जानकारी देने वाले चेतावनी बोर्ड भी लगने चाहिए ताकि ड्राइवर ऐसी जगहों पर ओवरटेक न करें। इस हिस्से में कई स्थानों पर तुरंत मेंटिनेंस की जरूरत जताई गई है और कम से कम बीस यू टर्न बंद करने का सुझाव दिया गया था।

IRF के प्रेसिडेंट ने बताया

आरआरएफ के प्रेसिडेंट, एमिरेट्स केके कपिला के अनुसार सुधार के जो सुझाव दिए गए हैं उन पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए। इनमें कोई ज्यादा खर्च भी नहीं है। हमने अपने स्तर से यह आडिट किया और इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की अनुमति भी ली गई थी। एनएचएआइ और मंत्रालय को इस पर कार्रवाई करनी है। आइआरएफ के अनुसार आडिट में यह सामने आया कि जिस जगह पर मिस्त्री की कार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी वहां तीसरी लेन पर अचानक डायवर्जन था, जिसे अवैज्ञानिक तरीके से बनाया गया है और मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है।

यहां समुचित साइनेज और मार्किंग भी नहीं है। कपिला के अनुसार हादसों के बाद सड़कों का आडिट बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे बुनियादी खामियां पता चलती हैं। हर हादसे के लिए स्पीड अथवा ड्राइवर को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। सड़कों के डिजाइन में अगर कमी है तो उसे सबसे पहले दूर किया जाना चाहिए।