पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित पर विचार
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा जनहित याचिकाओं पर होने वाली सुनवाई हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर काफी महत्व रखती है। केंद्र ने नियामक व्यवस्थाओं को देखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के प्रस्ताव पर भी शीर्ष अदालत ने सहमति व्यक्त की है।
भारतीय बाजारों की निगरानी के लिए मौजूद है वैधानिक निकाय
केंद्र सरकार ने कहा कि भारतीय बाजारों की निगरानी के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे वैधानिक निकाय मौजूद हैं और यह अपना काम बेहतर तरीके से कर रहे हैं। देश में हो रहे धन प्रवाह पर एक पैनल का कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। केंद्र ने जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला वाली बेंच ने कहा था कि वह सीलबंद कवर में नाम और पैनल के जनादेश जैसे विवरण प्रदान करना चाहता था।
कोर्ट में दाखिल हुई चार जनहित याचिकाएं
शेयर बाजार नियामक सेबी ने शीर्ष अदालत में दायर अपने नोट में इस बात की ओर इशारा कर दिया था कि वह शॉर्ट-सेलिंग या उधार लिए गए शेयरों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। फिलहाल, इस मामले में चार लोगों ने कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल की है, याचिका दाखिल करने वालों में वकील एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार का नाम शामिल है।
न्यायाधीश की निगरानी में समिति गठित करने की मांग
विशाल तिवारी ने अपनी जनहित याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में समिति गठित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की है, जिसमें उद्योगपति गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले व्यापारिक समूह के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं। कांग्रेस नेता ठाकुर ने अपनी याचिका में आरोपों में अदाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश की देखरेख में जांच की मांग की है।
केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा जांच की मांग
वकील एमएल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका में अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च के शॉर्ट-सेलर नाथन एंडरसन और भारत और अमेरिका में उनके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और बाजार में अदाणी समूह के स्टॉक मूल्य के आर्टिफिशियल क्रैश के आरोप में मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
चौथी जनहित याचिका में धोखाधड़ी और शेयर की कीमतों में हेरफेर के आरोपों के बाद अदाणी समूह के खिलाफ एक पैनल या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में कई केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा जांच की मांग की गई है।
अदाणी समूह ने सभी आरोपों को किया खारिज
जांच में सहयोग प्रदान करने के लिए केंद्र और उसकी एजेंसियों को निर्देश देने की मांग के अलावा, जनहित याचिका में शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में या निगरानी के लिए एक समिति का गठन करने के लिए कहा गया है। अदाणी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है।