नई दिल्ली, । कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन ने भारत के लोगों को कैशलेस भुगतान का एक नया तरीका सिखा दिया है। इस तरीके ने भुगतान क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, साथ ही क्रेडिट कार्ड (Credit Card) की मांग को भी बढ़ा दिया।
RBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड द्वारा भुगतान पूरे देश में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे भारत में एक कार्ड भुगतान में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
क्रेडिट कार्ड पेमेंट डेटा
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में क्रेडिट कार्ड भुगतान 6,30,414 रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 9,71,638 रुपये हो गया। वहीं, वित्त वर्ष 2023 के पहले नौ महीनों में 10,49,065 करोड़ रुपये हो गया है। इस तरह क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल और भुगतान में लगातार इजाफा हो रहा है।
92 प्रतिशत बढ़ गया है लेनदेन
इस दौरान क्रेडिट कार्ड से लेनदेन में भी इजाफा हुआ है। ये आंकड़े कुछ इस तरह हैं- दिसंबर 2019 में 65,736 करोड़ रुपये, दिसंबर 2020 में क्रेडिट कार्ड लेनदेन 63,487 करोड़ रुपये, दिसंबर 2021 में 93,907 करोड़ रुपये और दिसंबर 2022 में 1,26,524 करोड़ रुपये था।
दूसरी तरफ, क्रेडिट कार्ड पर कुल बकाया राशि (Outstanding Amount) अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान 22 फीसदी बढ़कर 1,80,090 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। दिसंबर 2021 में यह बकाया 1,41,751 करोड़ रुपये था। इस तरह सालाना आधार पर लगभग 27 प्रतिशत यानी कि 38,339 करोड़ रुपये अधिक था। वहीं, दिसंबर 2020 में 1,10,350 करोड़ रुपये और 2019 में 1,05,905 करोड़ रुपये था।
Debit Card के इस्तेमाल में कमी
एक तरफ जहां क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल और भुगतान में इजाफा हुआ है, वहीं डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह 6,61,385 रुपये था, जो 2021-22 में 7,30, 213 रुपये तक बढ़ गया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा घटकर 5,61,450 रुपये हो गई थी।