समस्तीपुर (रोसड़ा), : फूलपुर तो दूर, बिहार में भी कहीं से चुनाव लड़ने की हिम्मत नीतीश कुमार में नहीं है। वे वर्षों पूर्व चुनाव लड़ना छोड चुके हैं। पलटी मारकर फेविकोल के सहारे कुर्सी से वे चिपके हुए हैं। वर्तमान में उनकी यह अंतिम पाली चल रही है। उक्त बातें जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहीं।
रोसड़ा के सोनूपुर में पत्रकारों से बातचीत में बिहार की दुर्दशा पर चर्चा करते हुए उन्होंने इसके लिए भी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया और कुर्सी की लालच में राज्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया।
दो पीढ़ियां अशिक्षित रह गईं : पीके
प्रदेश में ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था को नीतीश के 18 वर्षों का काला अध्याय बताते हुए कहा इससे यहां की दो पीढ़ियां अशिक्षित रह गईं।
बेरोजगारी और पलायन को मुख्य समस्या बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि इससे समाज का हर वर्ग प्रभावी है। गांव के 50 से 60 प्रतिशत युवाओं को बाहर रहने कारण परिवार और समाज की परिकल्पना ध्वस्त हो गई है।
बिहार के किसानों की दुर्दशा पर चर्चा करते हुए कहा कि आज भी लोग भूमि सुधार लागू नहीं होने तथा जल प्रबंधन की समस्या का दंश झेल रहे हैं।
20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा: प्रशांत किशोर
सरकार के समर्थन मूल्य पर केवल 1 प्रतिशत गेहूं तथा 13 प्रतिशत धान का क्रय हो रहा है। इससे 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।
केंद्र की योजनाओं के साथ-साथ सात निश्चय योजना का भी हाल बदतर रहने का आरोप लगाते हुए पीके ने भ्रष्टाचार और अफसरशाही पर जमकर निशाना साधा।
राजनीतिक रणनीतिकार ने बिहार में शराबबंदी को मुख्यमंत्री की हठधर्मिता करार देते हुए कहा कि दुकानें बंद हैं, लेकिन डिलीवरी आज भी जारी है।
प्रशांत किशोर ने परिवार, समाज और राज्य के विकास के लिए जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट करने को ही मूल मंत्र करार दिया।