बरेली। मंडल की तीन लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने से सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर गर्म है। कोई विकल्प की बात कर रहा है तो किसी खेमे में फिलहाल विचार किए जाने की चर्चा हो रही है। फिलहाल विकल्प से राजनीतिक समीकरण नहीं बदलें, यह टटोलने के लिए हाईकमान ने पर्यवेक्षक लगा दिए हैं। वह तीनों सीटों पर मतदाताओं के रुख को परखेंगे। इसके बाद इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित होंगे।
भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को मंडल की पांच सीटों में से आंवला और शाहजहांपुर में प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी। बरेली, पीलीभीत और बदायूं लोकसभा सीट पर टिकट रोक दिया। वह भी तब जबकि बरेली सीट पर पिछले आठ बार से सांसद संतोष गंगवार मजबूती से डटे हुए हैं।
पीलीभीत और बदायूं सीट पर भी भाजपा का कब्जा
पीलीभीत और बदायूं सीट भी भाजपा के खाते में पहले से है। बरेली सांसद संतोष गंगवार दिसंबर 2023 में 75 वर्ष की आयु में पहुंच गए हैं। अगर पार्टी उम्र की पाबंदी के नियम पर चलती है तो यहां विकल्प के आसार बन रहे हैं। एक विकल्प यह भी है कि संतोष के किसी पारिवारिक सदस्य को पार्टी चुन लें।
वही, दूसरी ओर महापौर डा. उमेश गौतम भी इस सीट में टिकट की दौड़ में माने जा रहे हैं। ऐसे इंटरनेट मीडिया में की गई कई पोस्ट से पता चलता है। ऐसे में सियासी जानकारों ने यहां पिछड़ा या फिर ब्राह्मण प्रत्याशी के सामने आने की संभावना जतानी शुरू कर दी है।
ब्राह्मण या पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है बीजेपी
पार्टी बरेली और पीलीभीत में से किसी एक पर पिछड़ा वर्ग का प्रत्याशी उतार सकती है। अगर पीलीभीत में पिछड़े वर्ग को साधा तो बरेली में ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारने की संभावना बढ़ सकती है। उधर, बदायूं में सपा ने शिवपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है, ऐसे में भाजपा उनके सामने मजबूत प्रत्याशी उतारेगी।
इन चर्चाओं के बीच यह भी पता चला है कि पार्टी हाईकमान ने मंडल की इन सीटों पर पर्यवेक्षक लगाए हैं। यूं तो टिकट से पहले ही पार्टी प्रत्याशियों के चयन के लिए सर्वे कर चुकी है, लेकिन अब पर्यवेक्षक इस बात का पता लगाएंगे कि अगर इन सीटों पर प्रत्याशी बदलते हैं तो मतदाताओं का क्या रुख रहेगा। कौन सा दावेदार कितना मजबूत है। किस विधानसभा क्षेत्र में दावेदार का कितना प्रभाव है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर पर्यवेक्षक हाईकमान को सौंपेंगे। फिर प्रत्याशियों को घोषणा होगी।