यहां 20 मई को मतदान है और चुनाव प्रचार शनिवार को थमेगा, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह अब तक 282 से अधिक सभाएं कर चुके हैं। इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मैदान में नाम करण भूषण का है, लेकिन लड़ बृजभूषण शरण सिंह रहे हैं।
सुबह छह बजे से ही उनके विश्नोहरपुर स्थित आवास पर समर्थकों का जमावड़ा लगा है। सुरक्षा व्यवस्था के बीच चाय नाश्ता करते लोग जिम की तरफ निगाह गड़ाए हैं। बृजभूषण शरण सिंह के बाहर निकलते ही नेताजी जिंदाबाद के नारों के साथ हर कदम गले मे मालाओं की संख्या बढ़ती जाती है। मीडिया वालों की ज्यादा संख्या देखकर हाथ कहते है, ‘अच्छा दो सवाल पूछ लीजिए, आज बहुत सभाएं हैं।’
अब आपका अगला कदम क्या होगा?
एक सवाल उछलता है कि आपका टिकट कट गया अब आपका अगला कदम क्या होगा? जवाब आता है, मेरा टिकट कहां कटा है? मेरा बेटा लड़ रहा है और मुझे गर्व है कि वह मेरी विरासत संभाल रहा है और पार्टी ने उसे इस लायक समझा। जो लोग पिछले एक डेढ़ साल से मेरे पीछे पड़े हैं, यह उनके लिए सबक है। अब मेरे पास पार्टी कार्यकर्ता के साथ ही पिता की भी भूमिका है।
‘पार्टी जो कहेगी, वह करूंगा’
आगामी राजनीतिक भविष्य के बारे में पूछने पर वह माखन लाल चतुर्वेदी की कविता सुनाते हैं, चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं..। देवीपाटन मंडल में इस चुनाव में कैसरगंज तक ही सीमित रहने के सवाल पर कहते है, पार्टी जो कहेगी, वह करूंगा। पहलवानों के आरोपों को चुनाव में मुद्दा बनाने पर कहते हैं- किसी बच्चे से भी पूछेंगे तो कहेगा, यह आरोप झूठे और राजनीतिक हैं। आरोप लगाना और उनका सत्य होना, अलग बातें हैं। मैं कह चुका हूं कि अगर आरोप सत्य हुए तो मैं फांसी लगा लूंगा।
‘होइहि सोइ जो राम रचि राखा’
करण भूषण को टिकट मिलने के बाद अपने राजनीतिक भविष्य पर कहते हैं, होइहि सोइ जो राम रचि राखा। इतना कहकर काफिला चल देता है, घर से करीब एक किलोमीटर आगे शक्तिभूषण स्मृति द्वार के पास तालाब में भरपूर खिले कमल के फूलों की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, यहां भी खिला है, सब जगह खिलेगा।