मुंबई। चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों के घपलों-घोटालों के गड़े मुर्दे उखाड़ना सामान्य बात है। लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उस 70,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले का जिन्न बाहर निकाल दिया है, जिसके आरोप स्वयं उनपर लगते रहे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उस 70000 करोड़ के सिंचाई घोटाले का जिन्न बाहर निकाल दिया है जिसके आरोप स्वयं उनपर लगते रहे हैं। अब अजित पवार ने अपने एक बयान में आर.आर.पाटिल का नाम लेते हुए निशाना अपने चाचा शरद पवार पर साधा है जो इस समय उनके प्रबल राजनीतिक विरोधी बन चुके हैं।
अजित पर लगे थे घोटाले के आरोप
अजित पवार पर 70,000 करोड़ रुपयों के सिंचाई घोटाले का आरोप करीब डेढ़ दशक पहले लगता आ रहा है। वह 1999 में पहली बार बनी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई मंत्री बने, और लगातार 10 वर्षों तक इसी पद पर रहे। उन पर सिंचाई घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप तब लगे, जब 2012 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि पिछले दशक के दौरान राज्य की सिंचाई क्षमता में सिर्फ 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि विभिन्न परियोजनाओं पर 70,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए। तब महाराष्ट्र सरकार ने सफाई दी कि 0.1 प्रतिशत की वृद्धि केवल कुएं की सिंचाई पर विचार करके बताई जा रही है। जबकि सिंचाई सुविधाओं में कुल वृद्धि 28 प्रतिशत की हुई है।
2012 में जिस समय यह घोटाला बाहर आया, उस समय राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण एवं गृहमंत्री आर.आर.पाटिल थे। मंगलवार को सिंचाई घोटाले का डेढ़ दशक पुराना जिन्न तब पुनः बाहर आ गया, जब अजित पवार ने सांगली में अपनी पार्टी के उम्मीदवार संजय काका पाटिल की प्रचार सभा में कहा कि उक्त सिंचाई घोटाले की फाइल पर खुली जांच के आदेश तब के गृहमंत्री आर.आर.पाटिल ने देकर उनके साथ विश्वासघात किया था। अजित पवार यह बात सांगली में ही इसलिए निकाली, क्योंकि सांगली स्वर्गीय आर.आर.पाटिल का गृह जनपद है, और वह अजित पवार के चाचा शरद पवार के करीबी माने जाते थे।