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धन त्रयोदशी से पाँच दिनों तक दर्शन देंगी स्वर्णमयी अन्नपूर्णा


भक्तों को खजाने का होगा वितरण, अन्नकूट पर सजेगा छप्पन भोग
शिव नगरी काशी पर अन्न-धन की बरसात करने वाली मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन लगातार तीसरे साल भी पांच दिनों तक होंगे। तिथियों में हेर-फेर के कारण मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन 18 अक्टूबर धन त्रयोदशी से 22 अक्टूबर तक मिलेंगे। तिथियों के हेरफेर के कारण ही स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के पांच दिनों तक दर्शन मिलेंगे। मां के दरबार में खजाना भी बांटा जाएगा। इस बार धनतेरस की शुरुआत 18 अक्टूबर से हो रही है। 19 अक्टूबर को छोटी दीपावली है। 20 अक्टूबर को दीपावली और 21 अक्टूबर को अमावस्या है। 22 अक्टूबर को अन्नकूट की झांकी सजाई जाएगी। मंदिर के फेसबुक से इसकी जानकारी साझा की गई है। मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि धनतेरस से स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के विग्रह के दर्शन शुरू होंगे, जो 22 अक्टूबर तक चलते रहेंगे। अन्नकूट की झांकी के बाद मध्य रात्रि में दर्शन पूजन अगले साल तक के लिए बंद हो जाएगा। भक्त इस बार माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे। अभिजीत मुहूर्त में भोर में माता का पूजन व आरती के बाद खजाने की पूजा की जाएगी।
पांच सौ वर्ष पुरानी मूर्तियां
परंपरा के अनुसार मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा वाला मंदिर साल में धनतेरस के मौके पर ही चार दिन के लिए खुलता है। दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन इस बार भी दीपावली के दो दिन बाद अन्नकूट महोत्सव पड़ेगा। मंदिर में 500 साल पुरानी स्वर्ण मूर्तियां स्थापित हैं, जो मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के साथ ही विराजमान हैं। मां अन्नपूर्णा के सामने खप्पर लिए खड़े भगवान शिव अन्नदान की मुद्रा में है। दाईं ओर मां लक्ष्मी और बाईं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है।
भोलेनाथ ने मांगी थी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, धनतेरस के दिन मंदिर का अनमोल खजाना खोला जाता है। इसका महत्व मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं से है। माना जाता है कि एक बार काशी में अकाल पड़ा था। तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ भगवान शिव को यह वचन दिया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा। काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है।