गंगा के समानांतर प्रवाहित हुई ज्योति गंगा, मुख्यमंत्री ने जलाया पहला दीप, देश-दुनिया ने देखा घाटों पर देव दीपावली का अद्भुत महोत्सव

वाराणसी (का.प्र.)। काशी में बुधवार को पूरा देवलोक उतर आया। अवसर ही ऐसा था। धर्म की नगरी में अद्भुत और अलौकिक नजारा रहा। पूर्णमासी की रात चन्द्रदेव की चांदनी भी बुधवार को देवों के पर्व में शामिल हो गईं। पावन पर्व की ऐसी आभा उभरी कि काशी के घाटों से लेकर नगर और गांव-गिरांव सब रौशन हो गए। बनारस में देव दीपावली पर अनोखी और स्वर्णिम दृश्य को आंखों में समेट लेने की होड़ लगी रही। असंख्य दीप और उनकी रोशनी से गंगा का दीप अलंकार हुआ तो लहरें भी इठलाती रहीं। इस पार से उस पार रेती तक जमकर आतिशबाजी से देवोत्सव की छटा निखरी हुई थी। इससे इतर उस पार क्रेकल शो और घाटों पर लेजर शो लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। देवाधिदेव महादेव की काशी में सभी तीर्थ, सभी देवता और गंधर्वों का स्थान है। कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार देवता इस दिन स्वर्गलोक से धरती पर उतरते हैं। देवताओं के स्वागत के लिए इस दिन चंद्रमा आकाश को रोशनी से भर देता है तो काशीवासी धरती को झिलमिल दीपों से जगमग कर देते हैं। बुधवार को भी ऐसा ही दृश्य बना जब देवनदी गंगा के दोनों किनारों पर दीपमालिकाओं की गंगा प्रवाहमान हो उठी। गंगा की लहरों ने भी परावर्तन से इस ‘दीप गंगाÓ को और सशक्त तथा अलौकिक बना दिया। काशी की विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली का सारी दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही थी। अंतत बुधवार को वह दिन आया जब देश-विदेश के हर वय के पर्यटक, श्रद्धालु और दर्शनार्थी इस कलकल प्रवाहमान दीपगंगा के साक्षी बने। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्व की शुरुआत नमो घाट पर पहला दीपक जलाकर की। उनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह सहित अन्य लोग भी रहे। पंचगंगा घाट पर परंपरागत हजारा भी दीपों से जमगमा उठा। घाटों पर एक-एक कर दीप जलने लगे और किनारे के भवनों, मंदिरों और अट्टालिकाओं पर फ्लड लाइट, बिजली की झालरें और आतिशबाजी की चमक फैल गई। मंद पवन के साथ नर्तन कर रहे दीपों ने अद्भुत नजारा प्रस्तुत किया। अस्सी घाट, केदारघाट, दशाश्वमेध, शीतला और प्राचीन दशाश्वमेध घाट के साथ ही उत्तर में गायघाट, भैंसासुर घाट, गुलेरिया घाट, ब्रह्मा घाट आदि पर भव्य गंगा आरती की गई। दशाश्वमेध के दोनों घाटों की आरती देश के वीर बलिदानियों को समर्पित थी तो अस्सी घाट की आरती विकसित भारत को प्रतिबिंबित कर रही थी। गंगा आरती के बाद चेतसिंह घाट पर लेजर शो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना। गंगा अवतरण, शिव महिमा, त्रिपुरासुर वध सहित कई प्रसंगों को चेतसिंह किले की दीवारों पर लेजर लाइटों के जरिए जीवंत किया गया। इसके बाद बारी थी ग्रीन आतिशबाजी की। गंगा पार रेती पर हुई आतिशबाजी ने मानो घाटों पर सभी कदम रोक दिए हों। युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं, जो जहां था वहीं ठिठक गया। हाथों में मोबाइल कैमरे इस अभूतपूर्व आतिशबाजी के दृश्य को संजोने में लगे हुए थे। गंगा की लहरों पर आज नौकाओं की संख्या भी रोज से कई गुना ज्यादा थी। लोगों में घाट के दृश्य, आतिशबाजी और लेजर शो को कैमरे में कैद कर लेने की होड़ मची हुई थी।
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