नयी दिल्ली राष्ट्रीय

पीएफआई की ६७ करोड़ की संपत्ती कुर्क


,इस्लामी राष्ट्र बनाने की थी साजिश

नयी दिल्ली (आससे)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुख्यालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के स्वामित्व और नियंत्रण वाली 67.03 करोड़ रुपये मूल्य की आठ अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। ये संपत्तियां विभिन्न ट्रस्टों और इसके राजनीतिक मोर्चे-सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नाम पर थीं। ईडी की जांच से पता चला है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पदाधिकारी, सदस्य/कैडर भारत भर में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने और उनके वित्तपोषण के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला, दान आदि के माध्यम से भारत और विदेशों से धन जुटाने/एकत्र करने की साजिश रच रहे थे। जांच एजेंसी को पता चला है कि आरोपियों ने, भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साजिश भी रची थी। ईडी द्वारा की गई जांच में अब तक 131 करोड़ रुपये की आपराधिक आय (पीओसी) का पता चला है। ईडी ने एनआईए द्वारा दर्ज एफआईआर के साथ-साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और अन्य के खिलाफ अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर पीएमएलए, 2002 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की है। जांच से पता चला है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पदाधिकारी और सदस्य आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। इसके लिए पैसा एकत्रित करने की योजना बनाई गई। हवाला चैनलों के अतिरिक्त विदेशों से धन जुटाने की साजिश रची गई। जांच से पता चला है कि एसडीपीआई, पीएफआई का ही एक राजनीतिक मुखौटा है। पीएफआई, एसडीपीआई की गतिविधियों को नियंत्रित, वित्तपोषित और पर्यवेक्षण करता था। एसडीपीआई अपने दैनिक कार्यों, नीति निर्माण, चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन, सार्वजनिक कार्यक्रमों, कैडर जुटाने और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए मुख्य रूप से पीएफआई पर निर्भर था। इसके अतिरिक्त, जांच से यह भी पता मालूम हुआ है कि एसडीपीआई के लिए और उसकी ओर से पीएफआई द्वारा किए गए खर्चों को गुप्त रूप से डेयरियों में रखा जाता था। उस धन को पीएफआई के बैंक खातों में नहीं दिखाया जाता था। पीएफआई और एसडीपीआई द्वारा विदेशों से, मुख्य रूप से खाड़ी देशों से और स्थानीय स्तर पर भी राहत और सामाजिक गतिविधियों की आड़ में बड़े पैमाने पर धन एकत्र किया गया है। इस धन का उपयोग भारत में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए किया गया था ताकि भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने, हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डालने और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बाधित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस मामले में अब तक ईडी द्वारा पीएफआई के 28 नेताओं, सदस्यों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस संबंध में कई न्यायालयों में भी अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई हैं। गिरफ्तार लोगों में एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी, अध्यक्ष, महासचिव, पदाधिकारी और पीएफआई की राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारी परिषदों (एनईसी और एसईसी) के सदस्य, साथ ही शारीरिक शिक्षा (पीई) समन्वयक और प्रशिक्षक शामिल हैं जो पीएफआई सदस्यों और कार्यकर्ताओं को हथियार प्रशिक्षण प्रदान कर रहे थे। जांच के दौरान सामने आया है, ईडी ने पीएफआई के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कई संपत्तियों की पहचान की। पीएफआई के विचारक पूर्व स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे। सिमी, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा थी। पीएफआई की उत्पत्ति का इतिहास बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा है। उस समय, जमात-ए-इस्लामी की संपत्तियों को यूए(पी)ए के तहत ज़ब्त और सील कर दिया गया था। इन घटनाक्रमों से प्रेरणा लेकर, पीएफआई के वरिष्ठ सदस्य, जो उस समय राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) का हिस्सा थे, ने जानबूझकर पूरे केरल में विभिन्न ट्रस्ट बनाए। उनके तहत पीएफआई के स्वामित्व वाली और नियंत्रित विभिन्न संपत्तियों को पंजीकृत किया गया। इससे पहले, ईडी द्वारा की गई तलाशी में पीएफआई द्वारा बनाए गए कई रिकॉर्ड जब्त किए गए थे, जिनमें शामिल हैं।