खेल

इडेन बनेगा रिवर्स स्विंग का अखाड़ा


भारत-द. अफ्रीका पहला टेस्ट
पिच न तो दिल्ली जैसी नींदमें डूबी होगी न रांची जैसी टूटी फूटी, हर ओवरमें बदलेगी कहानी
कोलकाता (एजेन्सियां)। छह साल बाद ईडन गार्डन एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट का गवाह बनने जा रहा है। १४ नवम्बर से भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट यहीं खेला जायेगा। इस बार मुकाबला सिर्फ बल्ले और गेंद का नहीं, बल्कि ‘काली मिट्टीÓ, रिवर्स स्विंग और ठंडी हवाओंÓ का भी होगा। माना जा रहा है कि ईडन की यह काली मिट्टी वाली पिच अच्छी उछाल देगी, लेकिन मैच के बीच तक आते-आते इसकी रफ्तार कम पड़ सकती है। कुछ ही दिन पहले ही सतह से लगभग सारी ‘लाइव ग्रासÓ हटा दी गयी है और मैच शुरू होने तक सिर्फ १-२ मिलीमीटर घास बचे रहने की उम्मीद है। इसका सीधा मतलब तेज गेंदबाजों के लिए रिवर्स स्विंग होगा असली हथियार। यह ईडन की सतह दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम जैसी ‘सुप्तÓ पिच नहीं होगी, जहां भारत ने वेस्टइण्डीज को पांचवें दिन सात विकेट से हराया था। यहां विकेट में जान होगी और गेंद के पुराना होते ही यह तेज गेंदबाजों के लिए जाल बुनने का मौका बनेगी। एक और कारक जो तेज गेंदबाजों के पक्ष में जा सकता है, वह है सुबह और शाम का ठंडा मौसम। पहले घंटे की नमी और आखिरी सेशन की ठंडी हवा गेंद को हवा में हलचल दे सकती है, जिससे लेटरल मूवमेंट बढ़ेगा। इन परिस्थितियों में टास का असर उतना निर्णायक नहीं रहेगा, क्योंकि हालात पूरे दिन गेंदबाजों को मदद दे सकते हैं। ईडन का आउटफील्ड भले ही सबसे तेज माने जाने वाले में है, काली मिट्टी के कारण गेंद बिजली की रफ्तार से बाउंड्री तक जाती है लेकिन जैसे-जैसे टेस्ट आगे बढ़ेगा, पिच धीमी होती जायेगी और बल्लेबाजों की असली परीक्षा वहीं से शुरू होगी। साफ है कि ईडन की यह पिच न तो दिल्ली जैसी ‘नींद में डूबीÓ होगी, न ही रांची जैसी टूटी-फूटी। यहां हर ओवर में कहानी बदलेगी, कभी गेंद फिसलेगी, कभी मुड़ेगी कभी रिवर्स होगी। यानी, यह टेस्ट सिर्फ बल्लेबाजो की नहीं, ‘बुद्धि, बाउंस और गेंद की चालÓ की भी असली परीक्षा होगी।