भाजपा और चुनाव आयोग पर साधा निशाना
नयी दिल्ली (आससे)। कांग्रेस पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद वोट चोरी के आरोपों को दोहराया है। पार्टी ने इसके लिए भाजपा और चुनाव आयोग पर हमला बोला है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह के इशारे पर चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर के जरिए 69 लाख वोट हटा दिए। जिन लोगों के वोट हटाए गए, वे विपक्षी मतदाता थे। उन्हें निशाना बनाकर मतदाता सूची से हटा दिया गया। यह साफ़ तौर पर वोट चोरी है। कांग्रेस ने कहा कि पूरे देश ने देखा कैसे भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग राज्यों में वोट डालने के बाद भी बिहार में जाकर वोटिंग की। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पहले दिल्ली, उत्तराखंड, बेंगलुरु, हरियाणा चुनाव में वोट किया, फिर उन सभी ने बिहार में भी वोट किया। पार्टी ने कहा कि चुनाव के बीच भाजपा ने स्पेशल ट्रेनें चलवाईं, जिसमें लोगों को टिकट दिलवाकर और गले में पटका पहनाकर अलग-अलग राज्यों से बिहार भेजा गया, ताकि वे भाजपा को वोट दे सकें। पार्टी ने कहा कि ज्ञानेश कुमार ने बिहार चुनाव की घोषणा के दिन यानी 6 अक्टूबर को प्रदेश में 7.42 करोड़ वोटर बताए। वहीं, मतदान के बाद 11 नवंबर को वोटरों की संख्या बढ़कर 7.45 करोड़ हो गई। सवाल है कि बिहार चुनाव के बीच अचानक से 3 लाख वोटर कैसे बढ़े? बिहार में एसआईआर की अंतिम सूची आने के बाद रिपोर्टर्स कलेक्टिव को अपनी जांच में करीब 1.32 करोड़ से ज़्यादा संदिग्ध वोटर मिले। 39 विधानसभा सीटों पर संदिग्ध वोटों की संख्या 3.76 लाख थी और इसमें से करीब 1.88 लाख नाम ऐसे हैं, जो लिस्ट में दो बार दर्ज थे। कांग्रेस ने कहा कि बिहार में एसआईआर के दौरान चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में डुप्लीकेट एंट्री पकड़ने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि बिहार की वोटर लिस्ट में करीब 14.35 लाख फर्जी वोटर जुड़ गए। कहा गया है कि बिहार में आचार संहिता लागू होने के बाद भी मोदी-नीतीश सरकार ने महिलाओं को 10 हजार रुपये भेजना जारी रखा। खासतौर पर ये किस्तें वोटिंग के दिनों के आसपास भेजी गईं। मगर चुनाव आयोग ने कोई एक्शन नहीं लिया, क्योंकि वे खुद इस वोट चोरी की मिलीभगत में शामिल हैं।
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