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महंगाई दर ऊंची, आरबीआइ के लिए दरों में कटौती संभव नहीं : मूडीज


नई दिल्ली। भारत की बढ़ती खुदरा महंगाई दर को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चिंताजनक मानते हुए आगे इसमें और वृद्धि की आशंका जताई है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की असहज रूप से ऊंची होती महंगाई दर से आरबीआइ के लिए नीतिगत दरों में और कटौती संभव नहीं होगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में तीन दिवसीय बैठक के बाद सात अप्रैल को आरबीआइ नए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव और तेल की बढ़ती कीमतों से खुदरा महंगाई दर 2020 में कई बार छह फीसद से ऊपर निकल गई। मूडीज का मानना है कि पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों से खुदरा महंगाई दर पर दबाव बना रहेगा। आरबीआइ ने खुदरा महंगाई दर के लिए चार फीसद का लक्ष्य रखा है जो दो फीसद तक ऊपर या नीचे हो सकता है। मूडीज को उम्मीद है कि आरबीआइ अगले वित्त वर्ष के लिए भी खुदरा महंगाई दर को लक्ष्य के आसपास रोकने की कोशिश करेगा।

मूडीज ने कहा है कि एशियाई देशों में फिलीपींस और भारत में असहज रूप से महंगाई दर बढ़ रही है। भारत की खुदरा महंगाई दर इस साल फरवरी में पांच फीसद से ऊपर पहुंच गई, जो जनवरी में 4.1 फीसद थी। मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान आरबीआइ मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। फरवरी में प्रमुख क्षेत्रों की महंगाई दर (जिनमें खाद्य, ईधन व बिजली शामिल नहीं हैं) जनवरी की 5.3 फीसद से बढ़कर 5.6 फीसद के स्तर पर पहुंच गई। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत व धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने से एशियाई देशों में महंगाई भी बढ़ने का अनुमान है।