पटना

कोविड डेडिकेटेड 100 शैय्या वाले विम्स का हाल- मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और अधीक्षक सहित लगभग 20 चिकित्सक कोविड पॉजीटिव


पहले से ही चिकित्सकों की कमी झेल रहे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक साथ पॉजीटिवों की संख्या बढ़ने से परेशानी और बढ़ी

      • मेडिकल कॉलेज में न इंटर्नशिप, ना जेआर और ना ही पीजी स्टूडेंट
      • आरटीपीसीआर से रोज हो रहा है तीन शिफ़्टों में 1500 जांच
      • कॉलेज के प्राचार्य भले ही है पॉजीटिव लेकिन होम आइसोलेट रहकर भी रख रहे हैं नजर
      • प्राचार्य ने कहा आरटीपीसीआर रिपोर्ट के फास्ट अपडेट के लिए चल रहा है प्रयास

बिहारशरीफ (आससे)। कोविड डेडिकेटेड अस्पताल यानी विम्स भी इन दिनों हाउसफुल चल रहा है। ये इस मामले में कि सौ बेडों वाले इस अस्पताल में 96 रोगी भर्ती है। बिहार सरकार ने नालंदा के अलावे पड़ोसी जिला नवादा और शेखपुरा के रोगियों के लिए विम्स में 100 बेड का कोविड डेडिकेटेड हॉस्पीटल बनाया है, लेकिन दुखद बात यह है कि विम्स के प्राचार्य, अधीक्षक सहित लगभग 20 डॉक्टर कोविड पॉजीटिव हो गये है और ऐसे लोग आइसोलेट हो चुके है।

पहले से ही मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्राध्यापक और चिकित्सक का पद रिक्त चल रहा था और अब कोविड जैसे मुश्किल घड़ी में एक साथ इतने सारे चिकित्सकों के पॉजीटिव हो जाने से निश्चित तौर पर कोविड के इलाज पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि इस मुश्किल घड़ी में भी विम्स प्रशासन हर संभव प्रयास कर कोविड रोगियों को बेहतर सेवा देने के लिए तत्पर रही है।

कोविड संक्रमण को लेकर पिछले दफा ही सरकार ने विम्स में 100 बेड का कोविड विशेष अस्पताल बनाया था। हाल के दिनों में कोविड केस बढ़ने के साथ ही विम्स के इस विशेष वार्ड में कोविड रोगियों की संख्या में इजाफा हुई। प्राचार्य डॉ पीके चौधरी जो इन दिनों खुद कोविड पॉजीटिव है और होम आइसोलेटेड है ने कहा कि इस परिस्थिति में भी वे लगातार विम्स में कोविड अस्पताल के सफल संचालन के लिए तत्पर रहे है। दूरभाष के जरिये लोगों को आवश्यकतानुसार दिशा-निर्देश दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि आज से हीं विम्स अस्पताल के अधीक्षक भी कोविड पॉजीटिव हो गये है। इससे परेशानी और बढ़ी है। उन्होंने बताया कि वर्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान में कुल 110 प्राध्यापक चिकित्सक है, जिसमें लगभग 25 लोग कोविड पॉजीटिव है, जबकि कोविड अस्पताल के 100 बेड में से 96 में रोगी एडमिट है।

बताते चले कि विम्स में इन दिनों स्टाफ क्राइसिस रही है। एक भी इंटर्न डॉक्टर नहीं है, जबकि 100 इंटर्न डॉक्टर हुआ करते थे। इंटर्न डॉक्टरों के रहने से रोगियों को अटेंड करने और इलाज करने में सुविधा होती थी। वजह यह है कि इक्जाम हुआ ही नहीं और अब जब इक्जाम होने वाला था तो उसे अब स्थगित कर दिया गया। अगर इक्जाम हो गया होता तो यहां मई तक 100 इंटर्न्स इंर्टनशिप करने वाले डॉक्टर हो गये होते। इस क्राइसिस अवधि में लोगों को चुभ रहीं है।

इतना ही नहीं जीआर का 76 पद रिक्त है। अन्य मेडिकल कॉलेजों में प्रत्येक फैकल्टी में लगभग 20 पीजी सीट होता है और लगभग 13 विभागों में पीजी होती है। इस प्रकार लगभग 250 पीजी डॉक्टर हो जाते हैं, लेकिन विम्स में पीजी नहीं रहने के कारण इसकी भी कमी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अस्पताल की स्थापना इस उद्देश्य से की थी राज्य का बेहतर अस्पताल हो। कई मामलों में यह बेहतर है भी, लेकिन चिकित्सक एवं कर्मियों की कमी कभी दूर नहीं हुई। अन्य मेडिकल कॉलेजों की अपेक्षा इस मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक और चिकित्सकों की कमी है और यह सब भी इस क्राइसिस पीरियड में ना केवल अस्पताल प्रबंधन के लिए बल्कि सरकार आर आम जनता के लिए भी परेशानी बन रही है।

आजकल यह भी शिकायतें हो रही है कि विम्स में आरटीपीसीआर रिपोर्ट निकलने में विलंब हो रहा है। कई दिनों का समय बीतने के बाद आरटीपीसीआर का रिपोर्ट आता है तब तक रोगियों द्वारा रोगियों का प्रसार बढ़ रहा है और रोगियों की परेशानी बढ़ रही है। इस बाबत पूछे जाने पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग में विभागाध्यक्ष सहित छः प्राध्यापक है। कर्मियों की कमी है।

बावजूद इसके तीन शिफ्ट में रिपोर्ट निकाले जा रहे है। एक शिफ्ट में लगभग पांच सौ रिपोर्ट निकल रहा है और तीन शिफ्ट में काम चल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि समय से रिपोर्ट अपलोड हो इसके लिए मैनपावर को ट्रेंड करने का काम चल रहा है और इसमें सुधार का भी प्रयास जारी है।