सम्पादकीय

संक्रमणकी तेज दर


कोरोना संक्रमणकी दरमें तेज वृद्धि अत्यन्त चिन्ताजनक है। संक्रमण बेकाबू होनेसे उसकी दर भी बढ़ रही है। देशमें संक्रमण दर १२ दिनोंमें ही दोगुनी होकर १६.६९ प्रतिशत हो गयी जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर पिछले एक माहमें १३.५४ प्रतिशततक पहुंच चुकी है। देशके दस राज्यों, महाराष्टï्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, केरल, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थानमें कुल नये मामलोंमें ७८.५६ प्रतिशत मामले दर्ज किये गये। सभी दस राज्य अत्यन्त ही संवेदनशील क्षेत्र हैं, जहां संक्रमितोंका आंकड़ा तेजीसे बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़में सबसे अधिक ३०.३८ प्रतिशत साप्ताहिक संक्रमण दर है वहीं राजधानी दिल्लीकी संक्रमण दर देशमें सबसे तेज है। तमाम चुनौतियोंका सामना कर रही दिल्लीकी संक्रमण दर ३० प्रतिशततक पहुंच गयी है। दिल्लीवासी सबसे तेज गतिसे संक्रमणकी चपेटमें आ गये हैं। इसे देखते हुए सोमवारकी रातसे अगले सोमवारतकके लिए वहां सम्पूर्ण कफ्र्यू लगा दिया गया है, जो आवश्यक हो गया था। सोमवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयसे जारी आंकड़ोंके अनुसार देशमें कुल संक्रमितोंका आंकड़ा १.५ करोड़की संख्याको पार कर गया है। यह आंकड़ा चिन्ता बढ़ानेवाली है। भारतने १.४ करोड़से १.५ करोड़का फासला मात्र चार दिनोंमें पूरा किया है। पिछले चार दिनोंमें संक्रमणके दस लाख मामले सामने आये हैं। पहली बार दस लाखका आंकड़ा छूनेमें १६९ दिनोंका समय लगा था। इसके बाद संक्रमणकी रफ्तार काफी तेज गतिसे बढऩे लगी। यह तेजी अनियंत्रित है। ऐसा प्रतीत होता है कि चार दिनोंमें दस लाख मामलोंका आना इसके चरमकी ओर संकेत करता है। लेकिन अभी इसे चरम मानना जल्दबाजी होगी। पिछले २४ घण्टोंमें देशमें दो लाख ७३ हजार ८१० नये मामले सामने आये और १६१९ लोगोंकी मृत्यु हुई। यह अबतकका सर्वाधिक आंकड़ा है। देश कोरोना वायरसके विभिन्न म्यूटेशन और वेरिएण्टसे जूझ रहा है। स्थिति भयावह हो गयी है। संक्रमणकी बढ़ती हुई दरपर अंकुश लगाना अत्यन्त आवश्यक हो गया है अन्यथा हालात बदसे बदतर हो जायगा। वैज्ञानिकोंका मानना है कि जितना तेज संक्रमण होगा, वायरसके म्यूटेट होनेका खतरा उतना ही बढ़ जायगा। इसलिए आज सबसे बड़ी चिन्ता संक्रमणकी दरमें कमी लानेकी है। इसमें सरकारसे अधिक जनताकी भूमिकाका महत्व है।

ड्रग्सपर सख्त फैसला

मादक पदार्थोंके कारोबारके विरोधमें सर्वोच्च न्यायालयका अहम फैसला उचित एवं स्वागतयोग्य है। कोर्टने कहा कि ड्रग्स रैकेटमें लिप्त लोग रहमके हकदार नहीं, क्योंकि ये लोग सीधे तौरपर मासूम पीडि़तोंकी मौतका कारण बनते हैं। न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम.आर. शाहकी पीठने ‘स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस)Ó कानूनके मामलेमें सजाके खिलाफ की गयी अपीलको खारिज करते हुए कहा कि महज इसलिए किसी आरोपीको कम सजा नहीं दी जा सकती वह गरीब है और परिवारका अकेला कमानेवाला है। शीर्ष न्यायालयका यह न्यायसंगत फैसला समाजके हितमें है। अपराध जगतकी संघटित गतिविधियां, देशमें अवैध मादक पदार्थोंकी तस्करी और किशोरावस्थाके मासूमों समेत बड़ी संख्यामें लोगोंको प्राणघातक नशेका आदी बनाना पिछले कुछ सालोंमें काफी बढ़ गया है जो गम्भीर चिन्ताका विषय है। इस जानलेवा नशेकी लतसे न सिर्फ युवा वर्ग बर्बाद हो रहा है, बल्कि उसका पूरा परिवार बर्बाद हो रहा है। मादक पदार्थोंकी तस्करीका कारोबार अन्तरराष्टï्रीय स्तरपर फल-फूल रहा है। विदेशोंमें बैठे ड्रग्स माफिया बड़े पैमानेपर मादक पदार्थोंकी आपूर्ति कर रहे हैं, जिन्हें पड़ोसी देशोंका संरक्षण और सुरक्षा प्राप्त है। इस कारोबारमें आम लोगोंसे लेकर खास लोगतक शामिल हैं, जिन्हें समाज सम्मानकी दृष्टिïसे देखता है। हालमें ही आर्थिक नगरी मुम्बईके बालीवुडकी कुछ हस्तियोंके नामका खुलासा हुआ था जो ड्रग्स रैकेटसे जुड़े हुए हैं। यह बहुत ही गम्भीर स्थिति है। केन्द्र और राज्य सरकारों समेत आमजनकी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि नशेकी बढ़ती विषबेलको रोकनेमें आगे आयें। देश और समाजके लिए इसपर विचारकरनेकी जरूरत है।