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- जिले में 25 फीसदी प्याज रह गया खेत में
- मूंग की फसलें भी पानी में डूबकर बर्बाद होने की संभावना
- गरमा सब्जी हुई बर्बाद रुपये किलो नेनुआ, कद्दू, दो रुपये बोड़ा और तीन रुपये बिक रहा करेला, भिंडी
- पानी के कारण समय से पूर्व उखड़ रहा गोभी बिक रहा 4 रुपये पीस
- ठंड में बिकने वाला गोभी की नर्सरी हुई समाप्त 20 लाख के बीज का नुकसान
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बिहारशरीफ (आससे)। यास का असर जिले के कृषि व्यवस्था पर भी पड़ा है। खेतों में खड़ी गरमा मूंग की फसलों को जहां सूखने की संभावना बढ़ गयी है वहीं खेतों में लगी प्याज की फसल अब शायद घर तक नहीं पहुंच पायेगा। इसके साथ हीं गोभी सहित गरमा सब्जी फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। यास तूफान ने जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है।
सामान्य तौर पर जिले में इन दिनों गरमा मूंग की अच्छी पैदावार होती थी, लेकिन यास तूफान के कारण जिले में हुई भारी बारिश से मूंग लगी फसलों की खेतों में पानी जमा हो गया है। किसान इस बात को लेकर भयभीत है कि मूंग की फसलें सूख ना जाय। तेज हवा और पानी के कारण मूंग की फसल में लग रहा फूल भी झर चुका है और जिसमें फल लगा था वह फसल भी गिरकर पानी में डूब गया है।
किसानों की मानें तो अभी भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में खेतों में लगभग 25 फीसदी प्याज की फसल लगी हुई है, जिसे उखाड़ा जा रहा था, लेकिन इसी बीच यास तूफान को लेकर पिछले तीन दिन दिनों से हुई बारिश के कारण प्याज की खेतों में पानी जमा हो गया है। किसानों का कहना है कि तैयार प्याज की फसल में पानी का बूंद भी नुकसान पहुंचाता है और बूंद खाया प्याज सड़ जाता है और इस बार तो प्याज खेतों में पानी में डूबा है। ऐसे में फसल उखाड़ने के बाद यह स्वतः समाप्त हो जायेगी। कई किसान तो मौसम साफ होने पर प्याज लगे खेतों की सीधी जुताई करने की तैयारी में है। ऐसे किसानों का कहना है कि प्याज उखाड़ने से कोई फायदा नहीं। मजदूरों की मजदूरी भी नहीं निकल पायेगी।
इधर दूसरी ओर सब्जी की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के ईद-गिर्द के क्षेत्रों में भारी मात्रा में गरमा सब्जी की फसल की खेती होती है। लेकिन इस बार कोरोना और फिर लॉकडाउन की वजह से किसानों की फसल का मूल्य नहीं मिल रहा था और अब बेमौसम बरसात की वजह से फसलें हीं बर्बाद हो गयी।
किसानों की मानें तो लॉकडाउन के पूर्व तक सब्जी का अच्छा कीमत मिल रहा था। लेकिन लॉकडाउन लगते ही सब्जी का बाहरी आपूर्ति बंद हो गयी। वजह यह रही कि लॉकडाउन में मंडी खोलने की अवधि सुबह 10 बजे तक ही थी और इस बीच तक किसान उत्पाद लेकर नहीं पहुंचते थे। ऐसे में आज तोड़ी गयी सब्जी कल मंडी में पहुंचती थी और बासी होने के कारण इसका मूल्य नहीं मिल पाता था। पिछले काफी दिनों से किसान इससे आहत थे।
इधर यास का असर यह हुआ कि सब्जी की फसल बर्बाद होने लगी और तैयार सब्जी का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। शुक्रवार को थोक मंडी में नेनुआ, कद्दू एक रुपये किलो, करेला, भिंडी 3 रुपये किलो, बोड़ा 2 रुपये किलो, गोभी 4 रुपये पीस तक बिका। किसानों का कहना है कि इस भाव में मंडी लाने तक का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है।
इधर दूसरी ओर सोहडीह इलाके में यास तूफान को लेकर हुई बारिश से गोभी का नर्सरी बर्बाद हो गया है, जिससे लगभग 20 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही जाड़े के सीजन में मिलने वाला गोभी की बुआई भी प्रभावित होगा। किसानों का कहना है कि लगभग 20 लाख रुपये मूल्य का बीज किसानों ने अलग-अलग नर्सरी में डाल रखी थी। लेकिन भारी बारिश के कारण नर्सरी ही डूब गयी और बिचड़े गल गये। ऐसे में अक्टूबर और उसके बाद मिलने वाला गोभी के बुआई पर ग्रहण लग गया है। बाहर से बीज आया या तैयार बिचड़े आये तब भी इस बार बाजार में गोभी आने में विलंब होगी।