नयी दिल्ली। देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि कोविड-19 महामारी की वजह से राजस्व संग्रह घटने से राजकोषीय घाटा अनुमान से कहीं ऊपर रहेगा। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 3.5 प्रतिशत रखा गया है। इस लिहाज से राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से 100 प्रतिशत अधिक रहने की संभावना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के आम बजट में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। इसी तरह वित्त मत्री ने बजट में सकल बाजार ऋण 7.80 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा था। कोविड-19 संकट के बीच धन की कमी से जूझ रही सरकार ने मई में चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार ऋण कार्यक्रम को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 7.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा, ”हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 14.5 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 7.5 प्रतिशत रहेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा मूल्य पर सकल घरेल उत्पाद 2020-21 में 194.82 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वहीं 31 मई, 2020 को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जारी जीडीपी का शुरुआती अनुमान 203.40 लाख करोड़ रुपये था। ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र सरकार को इस साल पूर्व घोषित 12 लाख करोड़ रुपये से कहीं अधिक राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ सकता है। केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह (अप्रैल-नवंबर) के दौरान 10.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो पूरे साल के बजट अनुमान का 135 प्रतिशत है। कोविड-19 महामारी पर अंकुश के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से राजकोषीय घाटा जुलाई में ही बजट लक्ष्य को पार कर गया था।
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