पटना

पटना: शाम्हो के प्रभात ने रचा सफलता का इतिहास


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा में बिहार में पांचवां स्थान हासिल करने के बाद बिहार इंजियरिंग प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा से मैकेनिकल इंजीनियर बनने वाले प्रभात कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग की 64वीं सिविल सर्विसेज परीक्षा का रिजल्ट आने के पहले प्रभात ने बैंकिंग सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पायी, लेकिन वे किसी नौकरी में नहीं गये। इसलिए कि उनका लक्ष्य तो बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा थी।

प्रभात का पैतृक गांव शाम्हो है। हां, वही शाम्हो बेगूसराय का दियारा। तीन ओर से नदियों से घिरा शाम्हो में वर्षों पहले लोग शाम ढलने के बाद नहीं जाया करते थे। लेकिन, वहां के लाल प्रभात ने अपनी मेधा से उस शाम्हो का चरित्र ही बदल दिया है। बेगूसराय जिले से प्रभात का एक लगाव और है। वह, यह कि उसका ननिहाल भी बेगूसराय जिले के बदलपुरा में है। प्रभात के बाबा और नाना में भी इस मायने में समानता थी कि दोनों ही शिक्षण कार्य से जुड़े रहे।

बाबा सदानन्द झा जहानाबाद के जी.एम. एम. हायर सेकेंडरी स्कूल के उप प्राचार्य थे, जबकि नाना लखनदेव मिश्रा, हिलसा के एस.यू. कॉलेज के उप प्राचार्य व अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष रहे। प्रभात के मम्मी-पापा दरभंगा के दिलावरपुर मोहल्ले में रहते हैं। मम्मी किरण कुमारी अधिवक्ता हैं, तो पापा उदयनाथ झा आर.जे.आर.के.एस. इंटर कॉलेज, लगमा में भौतिकी के प्रोफेसर हैं।

प्रभात ने मैट्रिक की परीक्षा साल 2010 में सर्वोदय उच्च विद्यालय, गंगासागर से पास की। उन्हें न केवल प्रथम श्रेणी मिला था, अपितु जिले में उनका स्थान सातवां था। उन्होंने इंटरमीडिएट साइंस में गणित के साथ दरभंगा के सी.एम. साइंस कॉलेज में दाखिला लिया। 2012 की इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा में राज्य भर में उनका स्थान पांचवां रहा। बिहार इंजियरिंग प्रवेश परीक्षा में बैठे और सफल हुए। 2016 में भागलपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. किया।

लेकिन, इंजीनियर की नौकरी करने के बदले लग गये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में। बैंकिंग सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल तो हुए, पर नौकरी ज्वाइन करने नहीं गये। लग गये बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में। और, हासिल किया 48वां स्थान। तो, प्रभात कुमार बनेंगे बिहार विधान सभा में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर। बहरहाल, प्रभात कहते हैं कि उनकी सफलता मम्मी-पापा और गुरुओं के नाम है।