- शोधकर्ताओं की एक इंटनेशनल टीम ने अपने रिसर्च में पाया कि उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को आयी आपदा एक हिमस्खलन का नतीजा थी. दरअसल रोंती पर्वत से 2.7 करोड़ क्यूबिक मीटर की चट्टान और हिमनद बर्फ गिरी थी. इस आपदा में 200 से ज्यादा लोग मारे गए या लापता हो गए थे.
इस क्षेत्र में इस साल सात फरवरी को मानवीय आपदा आयी जब मलबा और पानी रोंती गाड, ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी घाटियों में गिरा. इस आपदा की वजह और इसके असर का पता लगाने के लिए 53 वैज्ञानिकों का एक वैश्विक दल आगे आया था. अनुसंधानकर्ताओं में नयी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और आईआईटी, इंदौर के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे. उन्होंने पता लगाया कि चट्टान और हिमनद बर्फ के गिरने से बाढ़ आयी.
जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही है
पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित इस अध्ययन से पता लगता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही है और यह संवेदनशील वातावरण में बढ़ती विकास परियोजनाओं के खतरे को रेखांकित करती है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि चट्टान और हिमस्खलन तेजी से अत्यधिक बड़े मलबे में बदल गए। इस अनुसंधान के नतीजों से शोधकर्ताओं तथा नीति निर्माताओं को इस क्षेत्र में पैदा हो रहे खतरों को बेहतर तरीके से पहचानने में मदद मिलेगी.
इस अध्ययन में उपग्रह से ली गई तस्वीरें, भूकंपीय रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शियों की वीडियो का इस्तेमाल किया गया. अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक अनुसंधानकर्मी और अध्ययन के सह-लेखक शशांक भूषण ने कहा, ”हमने अपने फ्रांसिसी साथियों के साथ घटना के कुछ दिनों के भीतर उपग्रह से ली गई तस्वीरें एकत्रित करने पर काम किया और घटनास्थल का विस्तृत मानचित्र बनाया.”