देश की उत्तरी सीमा पर चीनी सेना के साथ गतिरोध के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने कहा है कि दो प्रीडेटर (MQ-9 सी गार्डियन) ड्रोन हिंद महासागर के क्षेत्र में नेवी की निगरानी बढ़ाने में मदद कर रहे हैं, उनकी नजर से कुछ भी अछूता नहीं है. जहाजों पर भी इससे निगरानी की जा रही है. चीन के वॉरशिप और अन्य संदिग्ध जहाजों पर नजर रखने के लिए लद्दाख में गलवान घटाी में हुई हिंसा के बाद भारत ने अमेरिका से दो ड्रोन लीज पर लिए थे.
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा एमक्यू -9 सी गार्डियन ड्रोन की ताकत हमें एक बड़े क्षेत्र पर नजर रखने में मदद करती है. इससे हमें अपने समुद्री इलाके में निगरानी बढ़ाने में मदद मिली है. यह हमें इस क्षेत्र में मौजूद किसी भी जहाज पर कड़ी नजर रखने में मदद करते हैं. चीन की गतिविधि के संबंध में सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ड्रोन का इस्तेमाल संभावित विरोधियों पर नजर रखने में किया जाता है, हालांकि जो लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे होते हैं, उन पर भी इनके जरिए नजर रखी जाती है.
दक्षिणी नौसेना बेस पर तैनात
नियमों का पालन न करना चीन, जापान किसी भी देश की तरफ से हो सकता है. अधिकारी ने ये भी कहा कि ड्रोन की लॉन्ग इंड्यूरेन्स की ताकत हिंद महासागर के पूरे क्षेत्र के साथ साथ, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर के क्षेत्र पर भी निगरानी में मदद कर रही है. भारतीय नौसेना, तीन सेवाओं में पहली सेना थी, जिसने नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में लीज के ऑप्शन के तहत अमेरिकी फर्म से दो ड्रोन प्राप्त किए. इन्हें दक्षिणी नौसेना बेस पर तैनात किया.