इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस शिवकांत प्रसाद की एकल पीठ ने फैसला सुनाया है कि यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि शुभेंदु अधिकारी को कोई खतरा ना हो. नहीं तो सरकार को दोषी माना जाएगा. हालांकि, अदालत ने इस दौरान केंद्र से मिली सुरक्षा पर भी बात की. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को पहले ही केंद्र से पर्याप्त सुरक्षा मिली है.
इससे पहले हुई मामले की सुनवाई में कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रशासन के सुरक्षा निदेशक को कारण बताने के निर्देश दिए गए थे. अदालत ने कहा था कि इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल की जाए कि क्यों शुभेंदु अधिकारी को दी गई सुरक्षा को हटाया गया है. वहीं, बंगाल सरकार ने कहा था कि अधिकारी को ‘किताब’ की गाइडलाइंस के अनुसार अधिकारी की सुरक्षा की जा रही है.
बीजेपी विधायक अधिकारी ने अदालत से कहा था कि केंद्र सरकार से Z-श्रेणी की सुरक्षा मिली होने के बाद भी उन्हें तीन क्षेत्रों में राज्य सरकार की मदद चाहिए. इनमें पायलट कार, रूट लाइनिंग और जनसभाओं की निगरानी शामिल है. अधिकारी को टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद बीते साल दिसंबर में Z-श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी. उन्होंने 2021 विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.