- नई दिल्ली । शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेश्न (एससीओ) की एक अहम बैठक दुशांबे में बुधवार को शुरू होने वाली है। इस बैठक में भारत, चीन, पाकिस्तान समेत अन्य पांच देशों के विदेश मंत्री हिस्सा लेने वाले हैं। इसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान की तरफ से शाह महमूद कुरैशी भी हिस्सा लेंगे। इस बैठक का मकसद अफगानिस्तान के मौजूदा हालातों पर विचार करना है।
आपको बता दें कि जब से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का सिलसिला शुरू हुआ है तब से अफगानिस्तान में तालिबान के हमले भी तेज हो गए हैं। पिछले दिनों तालिबान के नेता ने मास्को में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि उसने अफगानिस्तान के करीब 85 फीसद इलाके पर कब्जा कर लिया है।
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते कदमों की आहट सभी सदस्य देशों के लिए चिंता का सबब बनी हुइ है। बीते करीब डेढ़ माह से इस मुद्दे पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीखी बयानबाजी भी देखी जा रही है। पाकिस्तान ने तालिबान की आहट के मद्देनजर अफगानिस्तान में अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। पिछले दिनों पाकिस्तान के आईएसपीआर के डायरेक्टर जनरल ने कहा था कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति का हिमायती जरूर है लेकिन इसका गारंटर नहीं है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन अपने 20 वर्ष पूरे कर रहा है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी। इस मौके पर होने वाली इस बैठके में अफगानिस्तान में तान में तालिबान की आहट पर ही चर्चा नहीं होने वाली है बल्कि वहां पर कोरोना महामारी को लेकर भी सदस्य देशों की चिंता है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया है। इस बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गी लेवरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी हिस्सा लेंगे।
यहां पर आपको ये भी बता दें कि इस क्षेत्र में एससीओ को नाटो के बराबर ही माना जाता है। भारत और पाकिस्तान इस संगठन के स्थायी सदस्य वर्ष 2017 में बने थे। इस संगठन का गठन रूस, चीन, कजाखिस्तान, तजाखिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने मिलकर किया था। भारत की बात करें तो उसका हित इसका इस्तेमाल क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हल करना है। वर्ष 2005 में भारत को इसका ऑब्जरवर बनाया गया था।