- ‘लक्ष्य’ की स्थापना साल 2009 में हुई थी और तब से लेकर आज तक यह दशक से अधिक समय से बड़े अंतरराष्ट्रीय मल्टी स्पोटर्स इवेंट्स में पदक जीतने की भारत की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से काम कर रहा है.
पुणे: भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने पहले दिन कुल 202 किग्रा का भार उठाया और रजत पदक जीतकर भारत को टोक्यो ओलंपिक में अपने अभियान की शानदार शुरुआत दिलाई. 85 पदक स्पर्धाओं में चुनौती पेश करने वाले 119 एथलीटों का दल टोक्यो पहुंचा, जो ओलंपिक के किसी एक संस्करण में भारत का सबसे बड़ा दल है. इससे यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि बीते कुछ सालों में भारत की खेल संस्कृति में किस हद तक विकास हुआ है.
एक एथलीट में से एक चैंपियन निकालने के लिए तमाम तरह के बलिदानों और शारीरिक दर्द के साथ कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होता है. एक चैंपियन बनाने के लिए अपने लिए सीमाएं तय करने, फिर उन्हें लांघने और इस दौरान राह में आने वाले बाधाओं पर काबू पाना होता है. इस तमाम सफर में हर खिलाड़ी को एक सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होती है, जो उसके हर उतार-चढ़ाव में लगातार उसका साथ देता रहे.
खेल और उसके एथलीटों की बेहतरी की दिशा में काम सरकार के साथ-साथ महासंघ भी तत्परता से काम कर रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में देश ने व्यक्तिगत संस्थाओं के उद्भव को भी देखा है जो आगे आकर भारतीय खेल के विकास में योगदान दे रहे हैं. ऐसे संगठनों में से ही एक पुणे स्थित एनजीओ ‘लक्ष्य’ है.