(आज समाचार सेवा)
पटना। बिहार में नगर निगम और नगर निकायों के 30 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं। बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी सयुक्त मोर्चा और स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए हैं। इससे नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायतों में कामकाज प्रभावित हैं। हड़ताल पर गये कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। नगर निकाय के कर्मचारियों ने पटना के लगभग सभी नगर निगम कार्यालयों में जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान आगजनी भी की गई और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई।
हड़ताली कर्मचारी समान काम के बदले समान वेतन, 10 साल से अधिक समय तक अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने, आउटसोर्सिंग को खत्म करने सहित 12 सूत्री मांग को लेकर काम बंद कर रखा है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार सिर्फ उन्हें आश्वासन देती है जबकि कोरोना के समय उनलोगों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की साफ-सफाई की। उन्हें कोरोना वारियर्स कहकर सम्मानित किया गया लेकिन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
कर्मचारियों की मानें तो नगर निगम के अधिकारी और मंत्री के द्वारा सिर्फ आश्वासन दिया गया लेकिन इस बार लड़ाई आर पार की होगी और जब तक सरकार सभी मांगों को नही मानती ये अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन चलता रहेगा। पटना नगर निगम संयुक्त कर्मचारी समन्वय समिति के संयोजक मंगल पासवान एवं सचिव नीरज कुमार वर्मा ने दावा किया है कि पटना के सभी अंचलों में सफाई एवं कचरा उठाव का काम पूरी तरह से ठप रहा है। नगर निगम के कार्यालयों का भी कार्य हड़ताल के चलते बाधित हुआ है।
नगर निगम मुख्यालय मौर्यलोक पर भारी बारिश के बावजूद काफी संख्या में हड़ताली कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने मुख्यमंत्री से अपील किया है कि सफाई मजदूरों के हजारों पदों की समाप्ति का फैसला को वापस लिया जाए। विभिन्न पदों पर प्रभारी के रूप में कार्यरत कर्मियों का समायोजन किया जाए। दैनिक मजदूरों का स्थायीकरण के साथ ही आउटसोर्स पर रोक लगे एवं अनुकंपा की बहाली शीघ्र प्रारंभ किया जाए। बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 में किए गए वैसे संशोधनों को वापस लिया जाए जो कर्मचारियों के हितों और उनके सेवा शर्तों पर आघात पहुंचाता है।