नयी दिल्ली (आससे.)। इन दिनों उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हो रही है। ठंड इतना की केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बहने वाली नदी जंस्कार जम गई है। नदी को देखने और बर्फ पर ट्रैकिंग के लिए यहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में लोग चलिंग गांव में जमी हुई जंस्कार नदी पर ट्रैकिंग कर रहे हैं। इन दिनों लोग लद्दाख में खूब इसका लुत्फ उठा रहे हैं। इस क्षेत्र में रात के समय तापमान माइनस 25 से माइनस 35 डिग्री तक गिर जाता है। जंस्कर नदी सर्दियों के महीनों में जम जाती है, पूरी नदी बर्फ की चादर की तरह दिखती है और इसलिए इसे चादर ट्रैकिंग भी कहते हैं। चादर ट्रैक जंस्कार नदी के ऊपर है जो सर्दियों के महीनों में जमी रहती है। फ्रोजन रिवर ट्रैक चिलिंग के छोटे से गांव से शुरू होता है जहां से ज़ांस्कर नदी जमने लगती है। पैदल कवर किए गए ट्रैक की लंबाई लगभग 105 किमी है और औसतन, एक ट्रैकर को हर दिन 15 से 17 किमी की दूरी तय करनी होती है। इस क्षेत्र में रात के दौरान तापमान शून्य से -35 डिग्री तक कम होता है और दिन के दौरान तापमान लगभग 1 से 5 डिग्री सेल्सियस रहता है। यहां का अधिकतम तापमान -15 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -35 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क जाता है। इन दिनों लद्दाख के जंस्कार का चादर ट्रैक आकर्षण का केंद्र बनता है, जहां देश के साथ-साथ विदेशों से भी पर्यटक जमे हुए झरनों और जंस्कार नदी पर जमी बर्फ पर चलने का रोमांचक अनुभव लेने पहुंचते हैं। चादर ट्रैक को भारत के सबसे अनूठे और चुनौतीपूर्ण ट्रैक में से एक माना जाता है। आम तौर पर छह से आठ दिन का यह ट्रैक जनवरी माह की शुरूआत से लेकर फरवरी माह के अंत और कभी-कभी मौसम अनुकूल रहने पर मार्च तक भी जारी रहता है।
हर साल ट्रैकिंग में शामिल होने वाले युवाओं की तादाद अधिक रहती है। स्थानीय लोगों के अनुसार चादर ट्रैक सदियों से स्थानीय लोगों द्वारा खान-पान की व्यवस्था और व्यापार के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है। बर्फबारी के बाद लेह से कटने वाले जंस्कार को जोडऩे वाला यह मुख्य रास्ता है। दुर्गम होने के साथ-साथ इस मार्ग पर जान का जोखिम भी है। पल-पल बदलता मौसम हो या फिर टूटती बनती नदी पर जमी बर्फ, इस मार्ग को जोखिम से भर देते हैं।