- एक समय पंजाब कांग्रेस में सर्वेसर्वा की हैसियत रखने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब बैकफुट पर आ चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही वह एकदम अकेले से दिख रहे हैं. एक समय 60 से अधिक विधायकों की अपने घर में बैठक करने वाले सिद्धू के समर्थन में इस्तीफे भी ना के बराबर हुए हैं. नवजोत सिंह सिद्धू नए डीजीपी एजी को लाये जाने को लेकर नाराज चल रहे थे. जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया लेकिन गुरुवार को उनकी मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के साथ हुई बैठक के बाद भी सीएम तत्काल प्रभाव से दोनों को हटाने पर राजी नहीं हुए. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मीटिंग के बाद एक कमेटी का गठन करने की बात कही गई है उसके बाद ही विचार विमर्श इन नामों को हटाए जाने को लेकर होगा.
सूत्रों के अनुसार इस मीटिंग में मुख्यमंत्री ने यह जरूर नवजोत सिंह सिद्धू को आश्वासन दिया है कि आने वाले दिनों में जब नियुक्तियां की जाएंगी तो नवजोत सिंह सिद्धू की अध्यक्ष पद के तौर पर उनकी सलाह ली जाएगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूपीएससी को कुछ पुलिस अधिकारियों के नाम भेजे गए हैं ताकि आने वाले दिनों में नए डीजीपी को पद पर तैनात किया जाए उसमें एक नाम वर्तमान में काम कर रहे डीजीपी सहोता का नाम भी है. नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा हाईकमान द्वारा स्वीकार न कर जाने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू इसी पद पर बने रहेंगे. नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने के लिए कोई कोई बड़ा नेता उनके आवास पर नही पहुंचा सिर्फ उनके खास व्यक्ति जिसमें दो कैबिनेट मिनिस्टर परगट सिंह अमरिंदर सिंह वरिंग ही पटियाला गए. इस पूरे सिलसिले में सिर्फ एक मंत्री ने सिद्धू के पक्ष में अपना इस्तीफा दिया जबकि परगट सिंह सबसे खास नवजोत सिंह सिद्धू के माने जाते हैं उन्होंने इस्तीफा देने के बजाय नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने की कोशिश की
नवजोत सिंह सिद्धू चाहते हैं कि राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया जाए लेकिन इस पर भी मुख्यमंत्री के साथ हुई नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकात में कोई चर्चा नहीं हुई. कांग्रेस के आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू के उठाए गए इस कदम के बाद सिद्धू को ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है शायद यही वजह है कि इस पूरे विवाद पर नवजोत सिंह सिद्धू बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान ने जिस तरह से नकारा, उसने सिद्धू के तेवर ढीले कर दिए. नवजोत सिंह सिद्धू को 10 जनपथ का आशीर्वाद हासिल था जिसकी बदौलत वे न सिर्फ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने बल्कि उन्होंने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए भी मजबूर कर दिया.