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किसान नेता राकेश टिकैत के मांगों से सहमत है शाहजहांपुर व पीलीभीत के किसान


बरेली, : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की मांगों का शाहजहांपुर के किसान नेताओं ने समर्थन किया है।उनका कहना है कि जिस तरह से एक साल से किसानों के हित में सत्याग्रह चल रहा है उसी तरह आगे भी किसान अपना हक लेने के लिए संघर्ष करता रहेगा। वहीं पीलीभीत के किसान नेताओं ने भी उनका समर्थन किया है।इसके साथ ही उन्होंने लखीमपुर खीरी कांड को लेकर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

तीनों कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही वापस लेने का निर्णय ले लिया हो। लेकिन किसान नेता जब तक किसान विरोधी अन्य समस्याओं का निस्तारण नहीं करा लेंगे तब तक पीछे हटने को तैयार नहीं है। राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जब अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा तो जिले के किसान नेताओं ने भी उन मांगों का समर्थन किया। इन मांगों को लेकर जिले में भी काफी समय से किसान नेता विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं। उप्र-उत्तराखंड के तराई अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत ने बिलकुल जायज मांगे सरकार के सामने रखी है। जिसे हर कीमत पर सरकार को पूरा करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि लखीमपुर में किसानों की हत्या करने वाले दोषियों को सख्त सजा दिलाने के साथ ही गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ भी सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के जिलाध्यक्ष महेंद्र सिंह यादव ने कहा कि किसान आयोग का गठन होना बहुत जरूरी हो गया हैं। सरकार को आयोग का गठन कर उसमे किसानों को ही सदस्य नामित किया जाए साथ ही इसमे किसी भी राजनीतिक सदस्य को शामिल न किया जाए। जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक संघर्ष जारी रहेगा। भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय महासचिव प्रमोद यादव ने कहा कि सरकार पूरी तरह से किसानों के विरोध में उतर चुकी है। संगठन लगातार किसानों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे है लेकिन उनका समाधान नहीं कराया जा रहा हैं।

पीलीभीत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जो मांगें सरकार के सामने रखीं हैं, उन पर यहां तराई के जिले में अधिकतर किसान सहमत हैं। किसानों का कहना है कि अब फसलों के एमएसपी की अनिवार्यता के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। साथ ही आंदोलन के दौरान जो किसानों की मौत हुई, उन्हें शहीद का दर्जा देकर एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। खीरी हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी की मांग का भी समर्थन कर रहे हैं। आंदोलन में सबसे ज्यादा भागीदारी पूरनपुर, कलीनगर और अमरिया तहसीलों के किसानों की रही है। किसानों का कहना है कि भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता जो मांगें उठा रहे हैं, वे हित में हैं। इसलिए मांगों का समर्थन करते हैं।

पूरनपुर के किसानों का आंदोलन में रहा अहम योगदान

कृषि काननू को वापस कराने में पूरनपुर के किसानों का बेहद सहयोग रहा। यहां के किसानों ने बड़ी संख्या में अपनी ताकत का परिचय दिया। किसान नेताओं की तरफ से हर बार व्यापक रूप से रैली और आंदोलन किए गए। साथ ही हाइवे जाम किया और दिल्ली बार्डर में अपनी सहभागिता की है।