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Omicron Mutations: अब तक का सबसे ज्यादा म्युटेशन,


नई दिल्‍ली, । कोरोना महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन म्युटेशन के मामले में अब तक के सभी वैरिएंट पर भारी है। इसमें 50 से ज्यादा म्युटेशन पाए गए हैं। अकेले 32 म्युटेशन इसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है। अब तक की जानकारी बताती है कि यह पहले के विभिन्न वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक हो सकता है। इसके घातक होने के बारे में अभी पर्याप्त आंकड़े नहीं मिले हैं।

ऐसे बनते हैं किसी वायरस के नए वैरिएंट : एक व्यक्ति के शरीर से दूसरे के शरीर में पहुंचने के क्रम में अक्सर वायरस में कुछ बदलाव होने लगते हैं, जिन्हें म्युटेशन कहा जाता है। जितने ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं, म्युटेशन की आशंका भी उतनी बढ़ती जाती है। यही म्युटेशन नए वैरिएंट के बनने का कारण होते हैं। सार्स-कोव-2 के मामले में चिंता की बात यही है कि इस समय जो वैरिएंट है, वह दो साल पहले वुहान में मिले वायरस से पूरी तरह अलग है। यही विज्ञानियों की चिंता का असली कारण है कि कहीं नया वैरिएंट मौजूदा टीकों के प्रभाव हो खत्म न कर दे। राहत की बात यह है कि अब तक किसी वैरिएंट को लेकर ऐसा प्रमाण नहीं मिला है।

वैरिएंट भी लड़ते हैं अस्तित्व की लड़ाई : ज्यादा संक्रमण की स्थिति में वायरस के वैरिएंट लगातार बनते रहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कागजों पर कोई वैरिएंट बहुत घातक जान पड़ता है, लेकिन असल जिंदगी में उनका उतना असर नहीं दिखता है। कोरोना वायरस का बीटा वैरिएंट इसका उदाहरण है। यह वैरिएंट इस साल की शुरुआत में मिला था। शोध में विज्ञानियों ने पाया कि बीटा वैरिएंट में इम्यून सिस्टम से बचकर निकलने की खूबी थी। इसलिए यह आशंका जताई गई कि इससे टीकों का प्रभाव कम हो सकता है। हालांकि कुछ समय बाद ही ज्यादा संक्रमण क्षमता वाले डेल्टा वैरिएंट ने अपनी जगह बना ली। धीरे-धीरे डेल्टा ने बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले लिया और बीटा वैरिएंट खत्म हो गया।