हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव के पूजन को पूरी तरह समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत और पूजन करने का विधान है। ऐसा करने से परिवार के सभी संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।मार्ग शीर्ष माह का शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल 16 दिसंबर को पड़ रहा है। इस दिन गुरूवार होने के कारण ये गुरू प्रदोष का संयोग है। गुरू प्रदोष के दिन भगवान शिव का पूजन करने से गुरू दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव जी को पूजन में बेलपत्र चढ़ा कर, जलाभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही जल में गुड़ मिला कर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव के प्रिय मंत्र-
1. ऊँ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ऊँ पार्वतीपतये नमः।
4. ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5. ऊँ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6.भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र-
ओम साधो जातये नम:।।
ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
7.रुद्र गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
8.महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।