रांची,। 15 वें वित्त आयोग की राशि के व्यय की सुस्त गति से अब झारखंड उबरने लगा है। वित्त आयोग की राशि का खर्च हाल के दिनों में बढ़ा है। इसकी मूल वजह केंद्र सरकार की सख्ती को बताया जा रहा है। हाल ही में पंचायती राज के स्तर पर हुई समीक्षा बैठक में संतोषजनक आंकड़े आए हैं। हालांकि आधा दर्जन राज्यों का प्रदर्शन अब भी खराब देखा जा रहा है।
सख्ती बढ़ी तो बढ़ गई खर्च की रफ्तार
झारखंड को पिछले और वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 15वें वित्त आयोग से कुल 2313 करोड़ की राशि मिली है। पिछले व वित्तीय वर्ष इस मद में मिली राशि का महज 313 करोड़ ही व्यय हो सका था। जबकि इस वित्तीय वर्ष दिसंबर तक 1197 करोड़ व्यय हुआ है। पिछले कुछ माह में आई तेजी की वजह से व्यय 65 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। जिसे 100 प्रतिशत मार्च तक पहुंचाने का निर्देश पंचायती राज विभाग द्वारा जिलों को दिया गया है।
वित्त आयोग की 65 प्रतिशत राशि हुई व्यय
यहां यह भी बता दें कि खर्च के मामले में ग्राम पंचायत का प्रदर्शन अच्छा रहा है। ग्राम पंचायतों के लिए कुल 1735 करोड़ का प्रविधान किया गया था, जिसकी 73 फीसद राशि 1266 करोड़ रुपये व्यय की जा चुकी है। वहीं, जिला पंचायत का खर्च के मामले में निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। अब तक महज 65 करोड़ रुपये ही व्यय हुए हैं, जो कि तय लक्ष्य 231 करोड़ का महज 28 प्रतिशत है। ब्लॉक पंचायत का व्यय का दायरा 51 प्रतिशत रहा है। पश्चिम ङ्क्षसहभूम, रांची व धनबाद में 20 प्रतिशत से कम राशि व्यय हुई है। जिला पंचायत की बात करें तो हजारीबाग, रांची, सरायकेला, धनबाद और गोड्डा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।