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हृदय की संरचना से प्रभावित होती है सोच, नए शोध में आया सामने


सैन फ्रांसिस्को (कैलिफोर्निया), । शोधकर्ताओं ने पाया है कि वयस्क होने के शुरुआती दिनों और मध्य वय में हृदय की संरचना तथा डायलोस्टिक फंक्शन में हल्का सा बदलाव होता है और उसका संबंध सोच (थिंकिंग) व स्मृति कौशल में कमी से हो सकता है। यह शोध अमेरिकन एकेडमी आफ न्यूरोलाजी के आनलाइन जर्नल ‘न्यूरोलाजी’ में प्रकाशित हुआ है।

डायलोस्टिक फंक्शन का आशय हृदय के चैंबरों में रक्त भरने और बिट्स के बीच रेस्ट से है। शोध के लेखक यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को से संबद्ध लार रौच ने बताया कि कार्डियोवस्कुलर रोगों से होने वाले खतरे को हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्राल तथा डायबिटीज से जोड़कर देखा जाता रहा है। लेकिन हृदय की संरचना और उसके फंक्शन से संज्ञानात्मक जोखिम के बारे में बहुत कम जानकारी है।

उन्होंने बताया कि हमने युवाओं के मध्य वय तक पहुंचने में 25 वर्षों तक अध्ययन किया और पाया कि सोच और स्मृति कौशल में ह्रास उपरोक्त कारकों से अलग या स्वतंत्र हैं। हमारे इस निष्कर्ष की अहमियत जिंदगी के बाद के दिनों में संज्ञानात्मक ह्रास के जोखिम के संदर्भ में हृदय में मार्कर से जुड़ा है। ऐसी विसंगतियां आमतौर पर सामान्य होती हैं और अक्सर उनकी पहचान इसलिए भी नहीं हो पाती है कि उनके कोई स्वाभाविक लक्षण नहीं होते हैं।

25 साल बाद क्या पाया: शोधकर्ताओं 25 साल बाद पाया कि लेफ्ट वेंट्रीकल का औसत वजन 0.27 ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति साल (जी/एम2) बढ़ गया। इसमें पहले साल में औसत वजन 81 जी/एम2 तथा अंतिम वर्ष में 86 जी/एम2 की औसत बढ़ोतरी थी। लेफ्ट आर्टियल ब्लड वाल्यूम में भी 0.42 मिलीलीटर प्रति वर्ग मीटर (एमएल/एम2) की वृद्धि हुई। इसमें पहले साल की औसत वृद्धि 16 एमएल/एम2 तथा अंतिम वर्ष में 26 एमएल/एम2 की रही। अध्ययन के अंतिम वर्ष में प्रतिभागियों के छह संज्ञानात्मक टेस्ट किए गए। इसके जरिये सोच (थिंकिंग) तथा स्मृति कौशल जिसमें ग्लोबल काग्निशन, प्रोसेसिंग स्पीड, एग्जीक्यूटिव फंक्शन, विलंबित मौखिक स्मृति और प्रवाह का आकलन किया गया। उन्हें शब्दों की एक सूची दिखाकर उसके 10 मिनट बाद उसे याद करने को कहा गया।