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NITI Ayog Meeting: पीएम मोदी ने की गोधन न्याय योजना की प्रशंसा,


नई दिल्ली, नीति आयोग (NITI Ayog) की 7वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने की। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में लागू गोधन न्याय योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस योजना से किसानों को लाभ होगा, क्योंकि गाय के गोबर से तैयार वर्मी-कंपोस्ट (Vermi-Compost) खेत की पैदावार बढ़ाने में सहायक होता है।

बैठक में शामिल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने योजना के बारे में विस्तृत रूप से बताया कि उनकी सरकार ने प्राकृतिक उर्वरकों के उत्पादन के लिए गोमूत्र की खरीद शुरू की है।

इसके साथ ही बघेल ने सुझाव दिया कि दलहन और तिलहन के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए कृषि अनुसंधान संस्थानों को बड़े पैमाने पर फसल की नई विकसित किस्मों, मिनी किट और ब्रीडर बीज के मुफ्त उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी जाए। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है और राज्य में दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई नए उपाए किए गए हैं।

20 हजार से कम आबादी वाले कस्बों में लागू हो मनरेगा

सरकार द्वारा राज्य के हित में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना लागू की है। इसके तहत धान की जगह दलहन, तिलहन या रोपण फसलों की खेती करने वाले किसानों को 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ-साथ छत्तीसगढ़ बाजरा मिशन का भी गठन किया गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि 20,000 से कम आबादी वाले शहरों और कस्बों के पास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा लागू किया जाए।

 

मुख्यमंत्री ने बैठक से संबंधित एजेंडा बिंदुओं के अलावा राज्य हित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं और विषयों पर भी बात की। बघेल ने राज्य के लिए जीएसटी मुआवजे की मांग को दोहराया। उन्होंने कहा कि माओवाद को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने कोयला ब्लॉक कंपनियों से ‘अतिरिक्त उगाही’ के रूप में एकत्र की गई 11,828 करोड़ रुपये के खर्च की प्रतिपूर्ति की।

उन्होंने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली से राजस्व का नुकसान हुआ है। छत्तीसगढ़ को करीब 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से कोई व्यवस्था नहीं मिली है, इसलिए जीएसटी मुआवजा अनुदान जून-2022 के बाद भी अगले पांच साल तक जारी रखा जाए।

राज्य को दिए जाएं खनन के 4,140 करोड़ रुपये

बघेल के अनुसार, पिछले तीन सालों के केन्द्रीय बजट में छत्तीसगढ़ को केन्द्रीय करों में 13,089 करोड़ कम हिस्सेदारी मिली, जिसके फलस्वरूप राज्य पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में केन्द्रीय करों का पूरा हिस्सा राज्य को दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने मांग रखी कि केन्द्र के पास कोयला कंपनियों से खनन पर 294 रुपये प्रति टन की दर से जमा हुए 4,140 करोड़ रुपये राज्य के खाते में जल्द जमा करवाया जाए।

उन्होंने कहा कि राज्य का खनिज राजस्व के 65 प्रतिशत आय का स्त्रोत राज्य में संचालित लौह अयस्कों की खदानें हैं। इसलिए राज्य वित्तीय हित में रॉयल्टी दरों में संशोधन आवश्यक है। उन्होंने राज्य सरकार की अन्य लंबित मांगों पर त्वरित कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया, जिसमें नई पेंशन योजना के तहत जमा राशि की वापसी और जूट के बोरे की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।