नई दिल्ली,। हर युवा का सपना होता है कि उसे उसकी योग्यता के अनुरूप समय से नौकरी मिल जाए। तमाम युवा इसके लिए अपने को कौशलयुक्त भी बनाने का प्रयास करते हैं, ताकि इससे उन्हें काम पाने में मदद मिल सके। अच्छा पैकेज पाने की इच्छा रखने वाले युवा उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों से पढ़ाई करना चाहते हैं, ताकि उन्हें प्लेसमेंट के दौरान बड़ी कंपनियों द्वारा अवसर मिल सके।
हालांकि इन सबके बावजूद भारत जैसी दुनिया की दूसरी विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए बेरोजगारी हमेशा से बड़ी समस्या रही है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर नियमित रूप से तमाम कदम उठाने के दावे भी किए जाते रहे हैं, पर इसके परिणाम उतने उत्साहजनक नहीं रहे हैं। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम करना आरंभ किया और इसके बेहतर नतीजे भी अब सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन के तहत देशभर में विभिन्न केंद्रों के माध्यम से युवाओं को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित कर उद्योगों के लिए रोजगार सक्षम बनाने की दिशा में अनवरत प्रयास किया जा रहा है।
हालांकि इन प्रयासों में और तेजी लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके अलावा, राज्य सरकारों की तरफ से इस दिशा में प्रयास तेज करने की जरूरत है, ताकि उनके राज्य में अधिक से अधिक उद्योग आरंभ हो सकें। ऐसा होने पर उन राज्यों के युवाओं को पलायन नहीं करना पड़ेगा और उन्हें उनके घरों के आसपास ही समुचित रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। इसके लिए राज्यों को अपने यहां कानून-व्यवस्था की स्थिति भी पूरी तरह से नियंत्रित करनी होगी, ताकि कारोबारी/उद्यमी वहां बेहिचक उद्यम स्थापित करने में रुचि ले सकें।
आम बजट से उम्मीदें: पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के शोर के बीच पिछले दिनों संसद में पेश किए गए केंद्रीय आम बजट में बिना किसी बड़े दावे के अगले पांच साल में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 60 लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की बात कही गई है। यदि सरकार इस पर गंभीरता से अमल करे, तो ऐसा करना अधिक मुश्किल नहीं है। विपक्षी दल प्राय: बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर रुख दिखाते रहे हैं। चुनावों के दौरान भी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिशें की जाती हैं। हालांकि यह भी सच है कि केंद्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में नौकरी के अवसर उपलब्ध कराना न तो संभव है और न ही व्यावहारिक। हां, राज्यों के स्तर पर ठीक-ठाक नौकरियों की व्यवस्था हो सकती है। जैसे कई राज्यों के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में अध्यापकों के पद रिक्त होते हैं, पर उन्हें भरने के नाम पर उदासीनता का रुख दिखता है। इसी तरह अस्पतालों की संख्या तो बढ़ती जा रही है, पर उनमें पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मियों का अभाव है। ऐसे और कई क्षेत्र हैं, जिनमें राज्य सरकारें पहल का साहस कर सकती हैं और उन्हें करना भी चाहिए। जहां तक इसके लिए संसाधनों की बात है, तो इसके लिए राज्यों को अपनी आय बढ़ाने के नये उपायों पर मंथन करना चाहिए।
उद्यमों से उम्मीद: राज्यों के केंद्र के साथ समुचित तालमेल रखते हुए अपने यहां विभिन्न उद्यमों को स्थापित करने की दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें समुचित माहौल बहाल करते हुए देश-विदेश के कारोबारियों/कंपनियों को आमंत्रित करना होगा। उन्हें करों में रियायत सहित अन्य सहूलियतों का प्रलोभन देना होगा। इससे न सिर्फ उनके अपने राज्य के युवाओं को बड़ी संख्या में नौकरी/रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे, बल्कि स्थापित उद्यमों से निर्यात बढ़ने से राज्य की आय में भी आशातीत बढ़ोत्तरी हो सकती है। राज्य इन संस्थानों को ही अप्रेंटिसशिप के तहत युवाओं को कौशलयुक्त बनाने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं, ताकि वही प्रशिक्षित युवा वहां के लिए आवश्यक मानव श्रम की जरूरतें पूरी कर सकें।
कौशल केंद्रों की हो सतर्क निगरानी: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और एनएसडीसी के तहत चलाए जा रहे कौशल विकास केंद्रों की अवधारणा बहुत अच्छी है, लेकिन इनका परिणाम बहुत बेहतर न आना यह साबित करता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। समुचित निगरानी करके, प्रशिक्षण में पारदर्शिता बरत कर और प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार/नौकरी दिलाने के लिए उद्योगों का सक्रिय साथ लेकर इस व्यवस्था को क्रांतिकारी बनाया जा सकता है। उम्मीद है कि इसके लिए कौशल और उद्यमिता विकास मंत्रालय द्वारा यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, ताकि इससे देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं के सपने साकार हो सकें।
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो समुचित स्ट्रेटेजी बनाकर समय प्रंबधन के साथ अपनी तैयारी को आगे बढ़ाएं
- नियमित अंतराल पर अपना मूल्यांकन भी करते रहें, ताकि कमजोरियों को जान-समझ कर समय रहते उन्हें दूर कर सके
- सीखने/जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहें। इसके लिए कोई भी अवसर न गंवाएं
- अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें और आत्मविश्वास कम न होने दें
- प्रयासों के दौरान असफलता मिलने पर उसे सीख की तरह लें और फिर प्रयास करें
युवा भी करें पहल: रोजगार/नौकरी के लिए सिर्फ सरकारों को कोसने और उनसे अपेक्षाएं करने के बजाय युवाओं को खुद भी पहल करके अपनी रुचि के अनुसार कौशल सीखने और संवारने पर ध्यान देना होगा। इसके लिए उन्हें केंद्र/ राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले केंद्रों से संपर्क करना चाहिए। अगर कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो विभिन्न माध्यमों से इसे सामने लाना चाहिए, ताकि उन्हें दूर किया जा सके और सरकार द्वारा इन केंद्रों को स्थापित करने का उद्देश्य सही मायनों में पूरा हो सके। इन केंद्रों की तलाश आनलाइन भी की जा सकती है। हां, इसके लिए मोबाइल पर अनावश्यक कामों में समय गंवाना बंद करते हुए खुद की योग्यता बढ़ाने पर फोकस करना होगा। ये सुविधाएं आपको अपने आसपास ही मिल सकती हैं।
एक बार आप अपनी रुचि के क्षेत्र में कुशल बन गए, तो आपको काम पाने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी। थोड़े प्रयास से ही आपको कहीं न कहीं काम अवश्य मिल जाएगा। यह न सोचें कि सिर्फ पैरवी से ही काम मिलता है। इस तरह की गलतफहमी को अपने दिमाग से निकाल दें। आप खुद ईमानदारी से सोचेंगे तभी दूसरों से भी इसकी उम्मीद कर सकते हैं। देश को आगे बढ़ाने के लिए हम सभी का ऐसा सोचना बहुत जरूरी है। हां, एक बार जब काम मिल जाए, तो निश्चिंत होकर बैठने के बजाय खुद को अगले पायदान पर ले जाने के जतन में लग जाएं। इसके लिए आनलाइन/आफलाइन कोर्स करके खुद को अपडेट करें। आने वाले भविष्य का ध्यान रखते हुए खुद को अपडेट करते रहें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको नौकरी के पीछे नहीं भागना होगा बल्कि नौकरियां आपके पीछे-पीछे होंगी।
कौशल से बढ़ेंगे आगे: चाहे सरकारी क्षेत्र की नौकरी हो या फिर निजी क्षेत्र की, सिर्फ डिग्री के भरोसे न तो नौकरी मिल सकती है और न ही तरक्की के रास्ते खुल सकते हैं। यदि आप कामयाबी के रास्ते पर लगातार आगे बढ़ते रहना चाहते हैं, तो आपको बदलते वक्त की जरूरतों के अनुसार अपने को कौशलयुक्त बनाना होगा और नियमित रूप से इस कौशल को अपडेट भी करते रहने होगा।