लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भरोसा है कि भाजपा फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। आखिर उनकी सरकार को किस काम के लिए याद किया जाएगा? इस सपाट प्रश्न पर सीएम योगी भी दो टूक जवाब देते हुए 2017 से पहले और बाद के उत्तर प्रदेश में लकीर खींच देते हैं। कहते हैं कि पहले प्रदेश की पहचान दंगों और गुंडागर्दी से थी, जबकि अब अयोध्या, मथुरा और काशी यूपी की पहचान हैं। वह मानते हैं कि सख्त कानून व्यवस्था और दुनिया में बदली प्रदेश की छवि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। 80 बनाम 20 के द्वंद्व की परिभाषा योगी कैसे भी गढ़ते हों, लेकिन अपने एजेंडे में दृढ़ता बरकरार है। चुनाव के गरम मुद्दों में शामिल निराश्रित पशुओं की समस्या को वह खारिज नहीं करते। संरक्षण के प्रबंध का तर्क देते हैं और अगले ही पल तेवर ये कि ‘गोमाता को कटने तो नहीं देंगे।’
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में होने जा रहे चुनाव के पहले चरण का मतदान गुरुवार को होने जा रहा है। पहले चरण की 58 सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज क्षेत्र की हैं। जाट-मुस्लिम गठजोड़ की संभावना, पश्चिमी उप्र में कृषि कानून विरोधी आंदोलन के प्रभाव पर राजनीतिक पंडितों में बहस छिड़ी है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी इस क्षेत्र में भी चुनाव को अपने नजरिए से देख रहे हैं। बुधवार को अपने सरकारी आवास पर ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में सीएम योगी ने चुनावी रणनीति से लेकर यूपी के भविष्य पर खुलकर बात की। अव्वल तो वह कृषि कानून विरोधी आंदोलन के प्रभाव को नकार देते हैं। साथ ही मानते हैं कि कानून व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा है, जिस पर जनता उनके साथ है। अपने शासनकाल में प्रदेश में आए परिवर्तन का पैमाना उनकी नजर में यह है कि 25 वर्ष बाद कैराना में पेट्रोल पंप खुला है और कांधला में बड़े-बड़े माल बन रहे हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रश्न किया गया कि जब विकास कराया है तो कैराना और मुजफ्फरनगर दंगों की बात क्यों याद दिलानी पड़ रही है? इस पर स्पष्ट कहते हैं कि विकास की सार्थकता सुरक्षा से ही है। सुरक्षा होगी तो विकास होगा, निवेश आएगा। तर्क देते हैं कि दंगों में हिंदू के साथ मुस्लिमों के घर भी जलते हैं, नुकसान दोनों को होता है। कफ्र्यूं का प्रभाव दोनों पर पड़ता है।
मुख्यमंत्री मानते हैं कि जनता मजबूत कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उनके साथ है। यही कारण है कि माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाने के बावजूद 403 विधानसभा क्षेत्रों में कहीं उनका विरोध नहीं है। अपने शासनकाल में अफसोस या आनंद की अनुभूति के क्षणों के प्रश्न पर वह कहते हैं- मैं कोई भी काम सोच-समझकर करता हूं, इसलिए किसी निर्णय पर अफसोस नहीं होता। वहीं, आत्मसंतोष तब मिलता है, जब बहन-बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। कर्नाटक में हिजाब के विवाद पर योगी का स्पष्ट मत है। कहते हैं कि देश की व्यवस्था संविधान से चलेगी शरीयत से नहीं। संविधान के अनुरूप सबको धार्मिक स्वतंत्रता का पालन करना चाहिए। मत, मजहब और धर्म सार्वजनिक चौराहों पर प्रदर्शन की चीज नहीं।