कोलकाता। क्रिकेट के जनक इंग्लैंड में भले ही यह खेल सज्जनों का खेल (जेंटलमैंस गेम) कहा जाता है, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत राजे-रजवाड़ों के खेल के तौर पर हुई। देश के पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्राफी का नामकरण केएस रणजीत सिंह के नाम पर हुआ, जो नवानगर के महाराजा थे। 1934-35 में हुए पहले रणजी टूर्नामेंट की ट्राफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने दान की थी।
वक्त गुजरता गया, आज क्रिकेट राजे-रजवाड़ों के खेल से आम आदमी का खेल बन गया। हालांकि, रणजी ट्राफी खेलने वाले क्रिकेटरों की फेहरिस्त में कुछ मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं। इनमें सबसे खास मनोज तिवारी हैं। मनोज देश के पहले ऐसे क्रिकेटर बने हैं, जो मंत्री रहते प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट में उतरे। 17 फरवरी को कटक के बाराबाती स्टेडियम में बड़ौदा के खिलाफ मैच खेलने के लिए उतरते ही वह यह कीर्तिमान अपने नाम किया। 36 साल के मनोज बंगाल के खेल राज्य मंत्री हैं। उन्होंने पिछले साल ही ममता सरकार में मंत्रिपद संभाला है।
वैसे मनोज रणजी क्रिकेट में पहले से ही चिर परिचित नाम हैं। उन्होंने अपने डेढ़ दशक से भी लंबे करियर में रणजी ट्राफी के कई सत्र खेले हैं। मनोज ने अब तक 125 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जिनमें 100 रणजी मैच शामिल हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 50.36 के औसत से 8,965 रन बनाए हैं, जिसमें 27 शतक और 37 अर्धशतक शामिल हैं। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 303 रन का है। 2020 में रणजी ट्राफी जीतने वाली बंगाल टीम के वह अहम सदस्य थे। अब तक उन्होंने क्रिकेटर के तौर पर ही रणजी मैच खेले हैं, लेकिन इस सत्र में वह मंत्री के तौर पर भी खेलते नजर आएंगे।