नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार-रोधी कानून के प्रविधान के तहत किसी सरकारी कर्मचारी के घूस मांगने और उसे स्वीकार करने के अपराध को साबित करने के लिए प्रमाण का होना जरूरी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम (पीसी) अधिनियम की धारा सात के तहत लोक सेवकों द्वारा घूस मांगने से संबंधित अपराध के लिए गैर-कानूनी मांग और उसे स्वीकार करना अनिवार्य कारक होते हैं। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने तेलंगाना हाई कोर्ट के उस फैसले को रद करते हुए यह कहा।
उल्लेखनीय है धारा सात सरकारी अधिनियम के संबंध में कानूनी पारिश्रमिक के अलावा अवैध पारितोषिक लेने वाले लोक सेवकों के अपराध से संबंधित है। इस मामले में हाई कोर्ट ने एक महिला लोक सेवक की सजा को बरकरार रखा था। सिकंदराबाद में वाणिज्यि कर अधिकारी के रूप में कार्यरत महिला अधिकारी को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा सात के तहत दोषी ठहराया गया था।
पीठ ने अपने 17 पेज के फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम (पीसी) अधिनियम की धारा सात के तहत लोक सेवकों द्वारा घूस मांगने से संबंधित अपराध के लिए गैर-कानूनी मांग और उसे स्वीकार करना अनिवार्य कारक होते हैं। इस अपराध को साबित करने के लिए सुबूत होना जरूरी है।