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स्विस बैंक में पाकिस्तानी जनरलों और हुक्‍मरानों के अरबों डालर,पाक में मचा हड़कंप


इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान की आवाम एक ओर आर्थ‍िक बदहाली की मार झेल रही है तो दूसरी ओर पाकिस्‍तानी सेना के जनरलों के पास काले धन का अंबार जमा हो रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि बड़ी संख्‍या में पाकिस्‍तानी सैन्‍य अधिकारियों के खाते स्विस बैंक में हैं। स्विट्जरलैंड में पंजीकृत निवेश बैंकिंग फर्म क्रेडिट सुइस से लीक आंकड़ों के अनुसार इन खाताधारकों में पूर्व-आईएसआई प्रमुख जनरल अख्तर अब्दुर रहमान खान समेत कई प्रमुख राजनेता और जनरल शामिल हैं।

स्विस बैंक से हुए डेटा लीक में करीब 1400 पाकिस्तानी नागरिकों से जुड़े 600 खातों के बारे में पता चला है। इन खातों से पाकिस्तान के करीब 1,400 लोगों का जुड़ाव सामने आया है। हालांकि इन आंकड़ों में उन बैंक खातों की जानकारी भी है जो बंद हो चुके हैं। समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्‍तान की कई राजनीतिक हस्‍ति‍यों ने स्‍व‍िस बैंक में ऐसे समय में अपने खाते खोले जब वे महत्‍वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल रहे थे।

‘द न्यूयार्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ रहे मुजाहिदीनों की मदद करने के लिए पाकिस्‍तान के पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल अख्तर अब्दुर रहमान खान को संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों से अरबों डालर की आर्थ‍िक सहायता उपलब्‍ध कराई गई थी। पाकिस्‍तान के अखबार डान ने आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि है कि उक्‍त आर्थ‍िक मदद सीआइए के जरिए स्विस बैंक में पहुंचाई गई थी।

गौर करने वाली बात है कि मुजाहिदीन लड़ाकों के लिए भेजी गई आर्थिक मदद में सऊदी अरब का भी योगदान था। इस प्रक्रिया का अंतिम प्राप्तकर्ता पाकिस्तानी खुफि‍या एजेंसी आइएसआइ (ISI) थी जिसका नेतृत्व जनरल अख्तर अब्दुर रहमान खान कर रहे थे। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानियों के स्‍व‍िस बैंक खातों में 4.42 मिलियन स्विस फ्रैंक की रकम मौजूद थी।

गौर करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान की कई राजनीतिक शख्‍सीयतों ने इन खातों का उल्लेख नहीं किया जिसे उन्होंने तब खोला था जब वे सार्वजनिक पदों पर काबिज थे। स्विस बैंक को लेकर लीक हुए ये आंकड़े साल 2016 में सामने आए पनामा पेपर्स, वर्ष 2017 में पैराडाइज पेपर्स और पिछले साल के पेंडोरा पेपर्स जैसे ही हैं। सनद रहे पिछले खुलासों ने पाकिस्‍तान के सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया था।