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स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए सरकार का अहम कदम,


 नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने को लेकर सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। इसके तहत देशभर के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल होगी। केंद्रीय स्तर पर स्कूली शिक्षा के सबसे बड़े संगठन केंद्रीय विद्यालयों में इसे लागू करने के बाद शिक्षा मंत्रालय अब इसे राज्यों में भी लागू कराने की तैयारी में है। सभी राज्यों को इसे लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा है कि वे इसे अगले दो से तीन साल में अमल में ला सकते हैं।

अभी 22 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है प्रवेश की यह उम्र 

शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सिफारिश के बाद उठाया है, जिसमें स्कूली ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया गया है। इसमें पहली कक्षा में दाखिले की उम्र की छह साल तय की गई है। हालांकि अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश सहित करीब 22 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल ही रखी गई है। वहीं गुजरात, दिल्ली और केरल जैसे करीब 14 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां मौजूदा समय में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल या साढ़े पांच साल है।

 

केंद्रीय विद्यालयों के बाद राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भी अमल की तैयारी

मंत्रालय का मानना है कि स्कूली शिक्षा की यह बड़ी विसंगति है जिसका खामियाजा छात्रों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के दौरान उठाना पड़ता है। वहीं, सभी राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की अलग-अलग उम्र होने से आयुवर्ग के आधार पर नामांकन के जुटाए जाने वाले ब्योरे में भी गलती बनी रहती है। इससे राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर शुद्ध नामांकन अनुपात भी प्रभावित होता है।