आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने बुधवार को राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस दिया है, जोकि COVID-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने की मांग को लेकर था. शून्यकाल के दौरान सांसद तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठा सकते हैं. सदस्य आमतौर पर प्रश्नकाल के बाद दोपहर के आसपास अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति करते हैं. इस समय को ‘शून्यकाल’ कहा जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी को कोरोना वायरस महामारी के बीच यूपीएससी की सिविल सेवा ‘प्रारंभिक परीक्षा’ में अपना आखिरी मौका गंवा चुके अभ्यर्थियों को एक और अतिरिक्त अवसर देने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. शीर्ष न्यायालय के इस फैसले से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के 10,000 से अधिक अथ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका यह फैसला केंद्र सरकार को न्यायालय के समक्ष उल्लेख की गई समस्याओं से भविष्य में निपटने में अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करने से नहीं रोकता है.
2,236 अभ्यर्थियों की खत्म हुई उम्र सीमा
केंद्र सरकार और यूपीएससी ने दलील दी थी कि न सिर्फ याचिकाकर्ता, बल्कि ऐसे कई अभ्यर्थी हैं, जो पिछले साल महामारी के दौरान विभिन्न परीक्षाओं में बैठे थे और हर किसी ने अवश्य ही किसी ना किसी रूप में कोई न कोई समस्या या असुविधा का सामना किया होगा. न्यायालय ने यह भी कहा था, ”नीतिगत फैसले की न्यायिक समीक्षा और किसी खास तरीके से नीति बनाने के लिए परमादेश जारी करना बिल्कुल ही अलग चीज है.” शीर्ष न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि चार अक्टूबर 2020 को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में ऐसे छात्र जो शामिल हुए थे लेकिन उनकी उम्र सीमा 2021 में खत्म नहीं हो रही है, उनकी संख्या 3,863 है. वहीं, जिनकी उम्र सीमा खत्म हो गई है उनकी संख्या 2,236 है, जबकि जिन अभ्यर्थियों की उम्र सीमा के मुताबिक 2020 आखिरी वर्ष था और वह इस परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे उनकी संख्या 4,237 है.
सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 32 वर्ष
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में वर्ष 2011 से 2015 के बीच पाठ्यक्रम में लगातार हुए बदलाव से प्रभावित अभ्यर्थी भी अतिरक्त क्षतिपूरक अवसर देने की केंद्र से मांग करते आ रहे हैं. न्यायालय ने कहा, 2021 की परीक्षा में अतिरिक्त अवसर की जरूरत वाले अभ्यर्थियों की कुल संख्या 10,336 है, जो 2020 की प्रारंभिक परीक्षा का आवेदन करने वालों का 0.97 प्रतिशत है. न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 32 वर्ष है और इस परीक्षा में उन्हें छह बार बैठने की अनुमति दी गई है. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उम्र और अवसर में अतिरिक्त छूट प्राप्त हैं.