वहीं, विपक्ष के आरोपों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूरी तरह से विपक्ष की गंदी राजनीति का हिस्सा करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से अफवाह है। जो व्यवस्था पहले थी, आजादी के पहले से चली आ रही पुरानी व्यवस्था वही चल रही है। सेना में भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी व्यवस्था को जारी रखा जा रहा है।
संजय सिंह ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर अग्निपथ योजना में भर्ती होने के इच्छुक उम्मीवारों से जाति पूछे जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट में मोदी सरकार के लिए काफी कड़े शब्दों का प्रयोग किया।
अमित मालवीय ने संजय सिंह के आरोपों का तथ्य के आधार पर जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया था कि वह जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है। प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को एक रेजिमेंट में रखने को उचित ठहराती है।’
पीएम मोदी को हर बात के लिए आरोपी ठहराने की गंदी राजनीति पर मालवीय ने कहा, ‘दरअसल, हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की सनक का ही नतीजा है, जिसकी वजह से संजय सिंह जैसे लोग हर दिन ऐसी बेवकूफाना हरकतें और आधारहीन बातें करते रहते हैं। सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद, इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने कुछ नहीं बदला।’
अग्निवीरों को अग्निपथ योजना में मिलेंगी कई सुविधाएं
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। इसके तहत अल्प अवधि यानी चार साल के लिए सेना के तीनों अंगों में युवाओं की भर्ती की जाएगी। अग्निवीर जवानों को आकर्षक वेतन के साथ चार साल बाद एकमुश्त सेवा निधि भी दी जाएगी। इस योजना के जरिये तीनों सेनाओं में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।