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Article 370 पर बदले शेहला रशीद और IAS शाह फैसल के सुर सुनवाई से पहले SC में याचिका से वापस लिया नाम


  जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। अब दो अगस्त से रोजाना इस मामले में सुनवाई होगी। डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले में सुनवाई करेगी। अनुच्छेद 370 के अलावा मंगलवार को शेहला रशीद और शाह फैसल चर्चा में रहे।

दरअसल, छात्र नेता शेहला रशीद और आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का पुरजोर विरोध किया था। शेहला और शाह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र के फैसले को चुनौती भी दी थी, लेकिन अब दोनों से सुर बदले-बदले से लग रहे हैं। शेहला और शाह ने अपनी-अपनी याचिका वापस ले ली है।

अदालत ने स्वीकार की शेहला और फैसल की याचिका

शेहला और शाह फैसल दोनों ने अदालत में कहा था कि वह इस मामले में अब पक्षकार नहीं बनना चाहते हैं। लिहाजा उन्होंने याचिका से अपना नाम वापस लेने के लिए एक आवेदन दिया था। इसके साथ ही अदालत ने शेहला रशीद को अनुच्छेद 370 को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने की याचिका स्वीकार कर ली है, जबकि आईएएस अधिकारी शाह फैसल को लिस्ट से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन करने को कहा है।

कौन हैं शेहला रशीद?

शेहला रशीद अपने बयानों को लेकर चर्चा में रही हैं। शेहला ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का पुरजोर विरोध किया था। जम्मू-कश्मीर की रहने वाली शेहला जेएनयू की छात्र रह चुकी हैं। वह जेएनयू में छात्र संघ की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। 2016 में जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी के बाद शेहला ने प्रदर्शन किए थे। शेहला अपने विवादित बयानों को लेकर भी चर्चा में रही हैं। शेहला ने सेना पर कश्मीर के लोगों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगाया था। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया था।

सिविल सर्विस एग्जाम के टॉपर शाह फैसल

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ याचिका वापस लेने वाले शाह फैसल सिविल सर्विस एग्जाम के टॉपर हैं। शाह फैसल भी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। शाह फैसल ने जनवरी 2019 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नाम से एक राजनीतिक दल का गठन किया था। हालांकि, शाह फैसल फिर सरकारी नौकरी में वापस लौट आए। उन्हें केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव बना दिया।