बसंत पंचमी का त्यौहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल ये त्यौहार 16 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन ज्ञान और सुर की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. आज हम आपको बताते हैं कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है. बताते हैं आपको इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा.
कथा के मुताबिक जब ब्रह्माजीएक बार भ्रमण पर निकले तो उन्हें महसूस हुआ कि उनकी रचना में कोई कमी रह गई है. उन्होंने देखा कि पूरी सृष्टि मूक है, हर तरफ एक अजीब सी खामोशी छाई हुई है.इसके बाद ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज दिख रहा था. देवी ने ब्रह्माजी को प्रमाण किया. इनके हाथ में एक वीणा थी. ब्रह्माजी ने उन्हें यह बजाने के लिए कहा.
मां सरस्वती की वीणा की आवाज इतनी मधुर थी की इससे पूरी सृष्टी में एक स्वर आ गया. इसके बाद ही समस्त जीवों को आवाज मिल पाई और वह एक दूसरे की दुख-तकलीफ और भावों को समझ पाने में सक्षम हो पाए. ये देखकर ब्रह्माजी ने उस देवी को सरस्वती नाम दिया. इसके बाद से ही मां सरस्वती का यह दिन ब्रह्माजी की बेटी के प्राकट्य के तौर पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा.