धार। : आखिर वो दिन आ ही गया जब ऐतिहासिक भोजशाला की सच्चाई सामने आएगी। सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एमपी हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला की अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है।
अब इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर सबकुछ पता चलेगा। उत्खनन के दौरान, ASI को देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां मिलीं, जो साइट को ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती हैं।
22 जुलाई को होगी सुनवाई
बता दें कि एएसआई ने बहुत ही सावधानी से रिपोर्ट तैयार की है, जो भोजशाला के मामले में चल रही कानूनी कार्यवाही में अहम साबित होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है, जिसकी अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
3 महीने के सर्वे के बाद होगा बड़ा खुलासा
गौरतलब है कि इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ASI को भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था। यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक चला। 98 दिन के इस सर्वे के दौरान कई खोदाई हुई, जिसकी फोटोग्राफी और वीडियग्राफी भी की गई। सर्वे के दौरान ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की भी मदद ली गई।
रिपोर्ट में क्या?
ASI की रिपोर्ट में देवी-देवताओं की मूर्तियों का वर्णन हो सकता है। एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में यह सर्वे कराया गया था। इस दौरान1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं। खोदाई में मिली सबसे खास मूर्ति मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति है।
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने सर्वे को लेकर बड़े खुलासे किए है। उन्होंने बताया है कि अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में मिले पुरावशेषों में 37 मूर्तियां हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला?
भोजशाला मामला मध्य प्रदेश की राजनीति में इस समय सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है। भोजशाला परिसर का संबंध राजा भोज (1000-1055 ई.) से है। कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि भोजशाला का विवादित स्मारक देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है। दूसरी ओर, मुस्लिम समाज इस भोजशाला को कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।